जीवों की उत्पत्ति के विषय में वैज्ञानिक कई वर्षों की खोज और संशोधनों के पश्चात दुनिया के सामने गूढ़ तथ्यों और रहस्यमई जानकारियों को प्रकट कर पाएं हैं। आज भी दुनिया के वैज्ञानिक, पुरातत्विद, भूवैज्ञानिक इत्यादि विभिन्न विभागों से संबद्ध वैज्ञानिक इस धरती की उत्पत्ति, जीवों की उत्पत्ति, वनस्पतियों की उत्पत्ति इत्यादि से संबंधित अन्य जानकारियों के बारे में और अच्छे से जानने के लिए लगे हुए है ताकि मनुष्य अपने इतिहास के बारे में सम्पूर्ण रूप से जान पाए। विश्व भर के इन वैज्ञानिकों की लगन और जानने की पिपासा और लालसा के कारण तथा उनके महत्वपूर्ण योगदान के कारण ही आज हम इतनी जानकारियां हासिल कर पाए है। हमारे भारत के भी कई ऐसे वैज्ञानिक हुए जिन्होंने अपनी प्रतिभा एवम् अपने ज्ञान के द्वारा इस क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिए हैं। भारत में जन्मे एक बुद्धिजीवी जिन्होंने अपने वनस्पति ज्ञान के भंडार को बांट कर पेड़ पौधों से लेकर पर्यावरण की हर एक जानकारी दी थी आज हम उन्हीं के बारे में जानेंगे जिनका नाम था “बीरबल साहनी”। उनके विशिष्ट कार्यो के कारण उनके नाम पर भारत में एक पदक की शुरुआत की गई जिसे ” बीरबल साहनी पदक” कहा जाता है, जो इस क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले वैज्ञानिकों को प्रदान की जाती है
बीरबल साहनी जी का जन्म 14 नवंबर 1891 भेरा पंजाब में हुआ था, जो आपके समय पाकिस्तान में है। उन्होंने अपने स्कूल तथा कॉलेज की शिक्षा लाहौर में ही की थी। के पिताजी रुचि राम साहनी जी थे। जो बीरबल साहनी जी जिस कॉलेज की कॉलेज की रसायन प्राध्यापक थे। बीरबल साहनी जी के विवाहित जीवन की बातें करे तो पता चलता हैं कि उनका विवाह सावित्री जी से हुई थी।
साहनी जी के जीवन में उनके प्रमुख शिक्षक के रूप में प्रोफेसर शिवदास कश्यप थे। उन्होंने कि उन्हें वनस्पति विज्ञान का पाठ पढ़ाया था जिससे साहनी जी का पर्यावरण से लगाव हो गया था किन्हीं कारणों के कारण वह अपना भविष्य वनस्पति विज्ञान में देखने लगे थे और अंत में वह अपने सपने को पूरा करते हुए भारत के सर्वश्रेष्ठ वनस्पति वैज्ञानिक बन गए।
लखनऊ के एक स्थान पर सहानी जी ने एक संस्थान का निर्माण किया था और उसका उद्घाटन करने के उपाय जवाहरलाल नेहरु जी आए थे।
अपने जीवन के एक मोड़ पर आकर बीरबल साहनी ने प्रोफ़ेसर बनकर भी पढ़ाया है।बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में उन्होंने एक समय के बाद एक प्रोफेसर के रूप में शिक्षा देना शुरू कर दिया था। इससे बच्चों को वनस्पति विज्ञान आराम से मिलने लगे। और बोलो वनस्पति की और रूचि दिखाने लगे। यह बीरबल साहनी जी का ही कमाल है क्योंकि पूरे विश्व को वनस्पति ज्ञान देने के साथ-साथ उन्होंने कई लोगों को भी प्रेरित किया ताकि वह पर्यावरण के संरक्षण के साथ-साथ उसे मिलने वाला ज्ञान अरिजीत करते रहे।
भारत देश में बहुत ही कम ऐसे व्यक्ति हो पाए हैं जिनके नाम पर पदक मिलता हो, उनमें से ही बीरबल सहानी जी थे जिनको अपने योगदान एवं देश का विकास करने की खुशी में उनके नाम का पदक बनाया गया है जिसे बीरबल साहनी पदक कहा जाता है। यह पदक उन वैज्ञानिकों को मिलता है, जो कुछ वर्ष सर्वश्रेष्ठ वनस्पति वैज्ञानिक के प्रबल दावेदार बनते हैं। यह पदक भारत के उन सभी सर्वश्रेष्ठ पदकों में आते हैं जिसे प्राप्त कर भारत का नागरिक कोई आम नागरिक नहीं रह जाता। बीरबल साहनी पदक की प्राप्ति के लिए हर कोई या तो उनके नाम से कई पेड़ लगाता या अपनी शिक्षा पूरी कर बीरबल साहनी जी जैसा अध्ययन कारी बन जाता। इन सभी कार्यों की सहायता से कई लोगों ने बीरबल सहानी पदक प्राप्त किया एवं देश का मान सम्मान बढ़ाया।
भारत देश को कई व्यक्तियों ने कई रूपों में अपना योगदान दिया है किसी ने अपने प्राणों की आहुति देकर किसी ने साहित्यिक ज्ञान देकर तो किसी ने अब नेतृत्व में देश को सुधारा इस प्रकार से विभिन्न व्यक्तियों ने अपना योगदान दिया देश को पर अगर हम वनस्पति ज्ञान की ओर से योगदान की बात करें तो हम देखते हैं कि बीरबल साहनी जी ने योगदान के रूप में भारत तथा अन्य देश के देशवासियों को भारत में उपलब्ध सभी प्रकार के पेड़ों पौधों की फासिल का अध्ययन कर उनसे मिलने वाली जानकारियों को सबके साथ बांटा था और वह सारी जानकारियां आज के समय में बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि वह सारे प्रकार के फासिल आज के समय में लुप्त हो चुके हैं ।
भारत के वनस्पति विज्ञान में सबसे बड़ा नाम बीरबल सहानी जी का है अगर हम उनके जीवन की ओर रुख मोड़े तो हमें देखते हैं कि वह अपने कॉलेज जिंदगी में आने के बाद जब उनके प्रोफेसर से उन्हें पेड़ पौधों से जुड़ने की प्रेरणा मिली तो उन्होंने वनस्पति विज्ञान में अपना पूरा जीवन लगा दिया और उसी के कारण हम भारतवासियों को पेड़ों के फासिल से जुड़े असीमित जानकारी प्राप्त हुई और इन्हीं कार्यों में उनका जीवन उन्होंने व्यतीत किया।
अपने समय में बीरबल साहनी जी के इतने महत्वपूर्ण योगदान देश को देने के कारण कांग्रेस सरकार ने खुश होकर बीरबल साहनी जी के फासिल के अध्ययन को देखते हुए उन्हें सम्मान के रूप में उनकी मृत्यु के बाद उनके नाम का एक पदक बनाया जिसे बीरबल साहनी जी के फासिल के अध्ययन को देखते हुए उन्हें सम्मान के रूप में उनकी मृत्यु के बाद उनके नाम का एक पदक बनाया जिसे बीरबल साहनी पदक कहा जाता है और यह पदक का हकदार वही व्यक्ति होता है जो उस वर्ष सर्वश्रेष्ठ वनस्पति वैज्ञानिक बनता है। प्रकार से देशवासियों की ओर से कांग्रेस पार्टी ने बीरबल साहनी जी के सम्मान में उनके नाम पर एक पदक बनाया था, जिसे प्राप्त करना अपने आप में ही इस सम्मान की बात होती थी।
अगर हमें पूछा जाए कि हम किस रूप में बीरबल साहनी जी को देखते हैं तो मुख्य रूप से हम भारतवासी बीरबल साहनी जी को पुरावनस्पती शास्त्री के रूप में याद करते हैं। उन्होंने वनस्पतियों के जीवाश्मों का अध्ययन करके वनस्पतियों के विषय में अनेक जानकारियां प्रदान की है। उनके खोजों को आज वनस्पति शस्त्र के अध्ययन एवम् शोध कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है तथा विज्ञान विषय के अध्ययन में भी एक पुरावनस्पति शास्त्री के रूप में उनके योगदानों और उनकी जीवनी को पढ़ाया जाता है जिससे नवयुवा उनसे प्रेरित होकर तथा इस विषय में ज्ञानार्जन करके एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक बन पाएं और आगे चलकर इस क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करके और भी बड़ी बड़ी खोज करें जो सम्पूर्ण मानव समुदाय के लिए हितकारी सिद्ध हो।
बीरबल साहनी जी की मृत्यु 10 अप्रैल 1949 को लखनऊ में हुई थी।पर वह आज भी सभी वनस्पति प्रेमियों के दिल में जिंदा है। उनके द्वारा किया हुआ कार्य आज भी जिंदा है जिस से प्रेरित होकर हर एक वनस्पति प्रेमी पर्यावरण की रक्षा करने के साथ-साथ उन महत्वपूर्ण बातों की खोज कर रहा है जो फासिल आज के समय में बहुत ही कम मात्रा में मौजूद है। उन को बचाते हुए, तथा उन पर खोज करते हुए वे वैज्ञानिक वनस्पति से जुड़े हुए आज के समय के महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।
यू तो बीरबल साहनी से सही बातें सीखने को मिलती है पर के रूप से उनके जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी काम को लगन से करें तो आपके नाम का भी पदक बन सकता है बस आप आपके काम के प्रति सच्ची निष्ठा रखें एवं जनकल्याण की भावना मन में रखते हुए कार्य करें। अपने ज्ञान के माध्यम से पूरी मानव जाति के लिए साहनी जी ने जो कार्य किए है उन्ही के कारण आज के समय में बीरबल साहनी जी एक बहुत बड़ा नाम बने चुके हैं। विज्ञान के क्षेत्र में उनका योगदान अत्यंत ही विशिष्ठ महत्ता रखता है।
हम युवाओं को इस पर ध्यान नहीं देना चाहिए कि उनका नाम कितना बड़ा है ध्यान हमें इस बात पर देना चाहिए कि आज उनके कारण ही अधिकतम लोग पेड़ पौधा लगा रहे हैं एवं पर्यावरण को अपना मान कर उसे समझने का कोशिश कर रहे हैं इससे पर्यावरण सुरक्षित रह रहा है एवं फल फूल रहा है। इस प्रकार की सीख लेते हुए अगर हम चले तो देश के विकास में हम भी अपना योगदान दे पाएंगे।
पर्यावरण से हम हैं हमसे पर्यावरण हैं मालिक को जिस दिन इस देश में हर एक व्यक्ति में आएगी उसी दिन पर्यावरण के साथ-साथ हम भी अपना जीवन सुखमय रूप से जी पाएंगे सर का पाठ बीरबल साहनी जी देना चाहते थे जो लोगों ने इसको समझा वह आज भी किसी भी विशेष दिन पर जैसे जन्मदिन हो या विवाह का शुभ अवसर हो या कोई पूजा एक पौधा उपहार के रूप में देते है और इस प्रकार की सोच आज के समय में अधिकतर लोगों में तो नहीं पर कुछ लोगों में देखी जाती थी और यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्हों के कारण हमारा देश कुछ हद तक पर्यावरण सुरक्षा कर पा रहा है जिससे मानव जाति सुखमय रूप से पी रही है।
ऐसे कई फासिल है जो आज के समय में लुप्त हो चुके हैं पर अगर हम पर्यावरण का संरक्षण बिल्कुल अपनी मां की तरह करें पर्यावरण के संरक्षण के साथ साथ हम उन तत्वों को भी बचाता है जो हमें शिक्षा के साथ-साथ जीवन देता है।
पर्यावरण से बड़ा जीवनसाथी कोई और हो नहीं सकता है। किसी बहुत जीवन जीने का एक ऐसा आधार है जिसके बिना मनुष्य अपना गुजारा नहीं कर सकता, इन बातों को मध्य नजर रखते हुए हमें साहनी जी जैसे वनस्पति से ऐसे जुड़ना होगा, जिससे हमारा ही कल्याण होगा।
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