अगर कोई व्यक्ति गुणवान है और
अपने गुणों से दूसरों का भला ही
करने को प्रयत्नशील रहता है,
तो जो व्यक्ति ऐसे गुणी व्यक्ति की प्रशंसा
करेगा वह स्वयं भी महान सोच वाला ही होगा।
क्योंकि छोटी सोच वाले लोग तो गलतियां ढूंढना ही जानते है, वह तो सही को भी गलत कह देंगे क्योंकि ऐसे बुरे लोग किसी की प्रशंसा सुन ही नही सकते, करना तो दूर की बात। ऐसे लोग तो गुणवान व्यक्ति में बारे में भी कह देंगे कि यह तो जरूर अपने मतलब के लिए ही दूसरों की मदद कर रहा होगा।
दोस्तों बात कोई भी हो, जो व्यक्ति भी भला काम करता है,उससे किसी का भला ही तो हो रहा है, बुरा तो नही न? जब तक कोई भी व्यक्ति दूसरों के भले के लिए ही कार्य करता रहे,वह सज्जन ही है और जो ऐसे सज्जन लोगो की प्रशंसा करते है,उनमे स्वयं भी कुछ तो गुण होंगे ही और ऐसे लोग ही आगे चलकर महान बनते है क्योंकि यह अच्छाई को बढ़ावा देना जानते है। और जो छोटी सोच के लोग है, वह हर बात में बुराई खोजने की कोशिश करेंगे।
यही महान और नीच सोच की लोगो मे अंतर है, जो महान बनते है, वह महान लोगो की कद्र भी करते है और जो नीचे ही रह जाते है, वह दूसरों के बारे में हमेशा नीचे (नीच) तक ही सोचते है।
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Aapne Bahut Achi Post Liki Hai