आप कुछ भी कर सकते है लेकिन….. और इसी सोच के कारण आप अशांत रहते है
दोस्तों आजकल के युवायों की सोच या फिर यूं कहे की अधिकतर हर एक लोग की सोच कुछ ज्यादा ही हवा में उडारी मार रही है। हर कोई सोचता है मैं यह भी कर सकता हूँ और वो भी। यानी कि मैं हर एक काम कर सकता हूँ।
यह जो मैं है, यह बहुत ही बुरी है। एक बार जिसमे मैं आ गयी, मैं सब कुछ कर सकता हूँ वाली मैं, फिर बस मन में अशांति और तनाव हमेशा बना ही रहेगा।
कई सोचेंगे “मैं सब कुछ कर सकता हूँ” यह ego नही बल्कि confidence है, लेकिन दोस्तों वह गलत है। क्योंकि “मैं सब कुछ कर सकता हूँ” यह ego है अहंकार है और “मैं कुछ भी कर सकता हूँ” यह confidence है ।
शब्दो में अंतर बस समझ मात्र का है
मैं सब कुछ कर सकता हूँ
यह egoहै
पर
मैं कुछ भी कर सकता हूँ
यह confidence है।
अगर हम सब कुछ करने को होंगे तो इससे हम ही तनाव में रहेंगे कि यह भी कर लो और वो भी कर लो। अरे….. इतना कुछ करना ही क्यों?
क्यों इतनी tension लेनी कि मैं सब कुछ करूँ , कीजिये आप जो मर्जी कीजिये, जो मन करे वो कीजिये पर सब कुछ तो मत कीजिये। अगर आप ही सब कुछ कर लेंगे तो फिर बाकी क्या करेंगे?
इसीलिए अपनी ego खत्म कीजिये, अपनी अकांक्षायों को सीमित कीजिये और वो कीजिये जो आप सच में कर सकते है और कर रहे है, वो नही कि कुछ भी आये सब कुछ करने को लग जाए।
इससे मन और दिमाग दोनो अशांत रहेंगे।
एक बात हमेशा याद रखिये
काम उतना ही ठीक है
जितने में हम चैन से जी सके
मौत के बाद तो
हमारा बाल तक न साथ जाएगा।
और दोस्तों तमन्नाएं हज़ारो लगा रखी है, जैसी दुनिया किसी ने जीत लेनी है। भले ही आज दुनिया में अमीरो से अमीर हो, पर साथ कोई न कुछ लेकर जाएगा। एक बाल तक न साथ लेकर जा सकेगा कोई और गुमान दुनिया में इतना लगा रखा है जैसे सब कुछ बस हमारा ही हमारा ही हो।
इस गुमान को खत्म कीजिये, अपने अहं को समाप्त कीजिये और उतना ही काम कीजिये जितने में आप अच्छे से रह सके और बचा हुआ वक्त अधिक से अधिक कमाने में नही, बल्कि अपने परिवार के साथ बिताइए। सिर्फ पैसा ही सब कुछ नही, अपने परिवार और अपने आत्म-कल्याण के लिए भी समय निकालिये। और याद रखिये, भौतिक सुख हमेशा नही रहने वाला, लेकिन जिसदिन आत्म-सुख प्राप्त कर लिया, वह आपके साथ हमेशा रहेगा।
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