दोस्तों अक्सर हम सब दुनिया के रंगो में इतना खो जाते है कि क्या सच है और क्या झूठ, क्या सही है और क्या गलत इन सब बातों के बारे में सोच ही नहीं पाते.
हम सिर्फ भौतिकता के ही रंगों में खोकर, अपना असल अस्तित्व तक भूल बैठते है. और इस दुनिया के भौतिक रंगों को ही शाश्वत मैंने लग जाते है.
भौतिकतावादी कहेंगे यही असल सुख है
भौतिकतवाद में रुझे व्यक्ति आज भी यही कहेंगे कि भौतिकता ही असल सुख और ख़ुशी है. उनके लिए मौज-मस्ती ही सब कुछ है. तो फिर सवाल आएगा कि आखिर भौतिकतावाद में रुझे रहने वाले मनुष्य को शाश्वत सुख का एहसास कैसे हो सकता है? क्यों दोस्तों… कभी-कभी हम सब ही सोच लेते है कि जीवन तो कुछ है ही नहीं जो भी है बस इसी दुनिया में है, इस दुनिया से बाहर कुछ है ही नहीं क्यूंकि हम अपने जीवन से कभी-कभी तंग आ जाते है और हम भी भौतिकवादी सुख को ही असल मान बैठते है. तो शास्वत सुख क्या है,इसके बारे में कैसे जाना जाये?
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शाश्वत सुख के बारे में कैसे जाने ?
दोस्तों, शाश्वत सुख के बारे में जानने से पहले यह जान लेते है कि भौतिक सुख है क्या?
भौतिकतावाद हम उसे कहते है जिसका असल में कोई महत्व, कोई मतलब है ही नहीं, लेकिन फिर भी हमे वो पसंद है, क्यों…. क्यूंकि वह हमे क्षणभर का सुख दे जाता है.
भौतिकतवादी सुख यानी- काम भाव की अति, अहम् भाव और यह सब ऐसे लोगों के संग में रहने से और भी अधिक बढ़ते रहते है.
अब आपको बताते है शाश्वत सुख के बारे में कैसे जाने
दोस्तों अब पहले एक बात सोचिये, क्या आप कभी parties वगैरह पर गए है, अगर गए हो तो कभी सोचियेगा कि आपको कुछ पल के लिए भले ही enjoy लगा हो लेकिन वहां जाने से आपके अंदर में कोई सकारत्मक बदलाव न आया होगा.
अब एक और दूसरे पेहलू को सोचियेगा- क्या आपने किसी की सच्चे मन से निश्वार्थ भाव से मदद की है? अगर की हो, तो उस समय की अनुभूति की आज भी सोच लीजियेगा, आपको आपके मन में एक सकारत्मकता जागृत होती हुयी महसूस होगी.
यही है दोस्तों, भौतिक सुख और शाश्वत सुख में अंतर. भौतिक सुख सिर्फ कुछ समय के लिए आपको enjoy दे सकता है लेकिन शाश्वत सुख आपकी आत्मा को हमेशा के लिए सुख देगा.
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जिंदगी के रंग
दोस्तों जिंदगी के रंग भी कुछ ऐसे ही है. जिस प्रकार भौतिक सुख में जितनी ठाठ-बाठ होगी वह उतना ही कम होता है, लगभग उसी प्रकार भौतिक सुख में जितने रंग होंगे वह उतने ही कम होते है. सदाचारी का एक रंग ही, जोकि नम्रता और सदाचार का हो, वह सबसे अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली है.
क्या रखा है disco-visco में? जहाँ पर जानवरों जैसी जिंदगी हो? असल मनुष्य तो वही है, जिसमे संयम हो, अगर मुंह ही मारना है तो वह तो कुत्ते भी मार लेते है. असल मनुष्य तो वही, जिसकी जीभ के स्वाद और उसका शरीर उसके वश में हो. नहीं तो, गली के कुत्ते और इंसान में कोई अधिक फर्क नहीं है.
दोस्तों आर्टिकल है थोड़ा कड़वा, लेकिन एक बार एकांत में बैठकर सोच विचार जरूर कीजियेगा.