दोस्तों आत्मा की इतनी बात हो गयी, तो अब बात यह भी कर ही लेते है कि आत्म-कल्याण क्यों जरूरी है? जैसा कि आप सभी जानते ही है, यह शरीर नश्वर है, और कोई भी इस जगत में हमेशा के लिए नही विचार सकता सबकी मृत्यु निश्चित है, भले ही वह मनुष्य हो या कोई जीव अथवा कोई देव ही क्यों न हो। सबको मृत्यु एक-न-एक दिन आनी जरूर है।
इसलिए मृत्यु के इस शाश्वत सत्य को जो लोग जानते है/पहचानते है, वह आत्म कल्याण की तरफ अग्रसर होते है। यह मूर्खता है कि हमें मृत्यु न आएगी, या फिर दुबारा कभी जन्म न होगा।
हम सब जीव, उनमें मैं स्वयं भी अपने अज्ञान के कारण आजतक इस भव-सागर में भटक रहे है। कोई नाविक नाव चलाते-चलाते भले ही किसी छोटे द्वीप पर रुक जाए, लेकिन उसे जीवन यापन करने के लिए सभी प्रकार की वस्तुएं तब तक न उपलब्ध होगा, जबतक वह महाद्वीप या किसी बड़े प्रदेश में न आ जाए।
ठीक इसी प्रकार, भले ही हम जन्म में मिलने वाले कुछ सुखों से खुश हो जाए, लेकिन पूर्ण खुशी तब तक न मिलेगी जबतक हम मुक्ति अर्थात मोक्ष तत्व को न प्राप्त कर लें।
अब बात आती है, आत्म-कल्याण के लिए, इतनी कठिनाई क्यों सहनी? तो दोस्तों जो ऊपर उदाहरण दिया है, उसमें नाविक को भी महाद्वीप/बड़े प्रदेश में पहुंचने के लिए अत्यधिक मेहनत करनी पड़ती है क्योंकि वह जानता है, देश में जाकर ही सुख मिलेगा, ऐसे भटकने से नही। इसी प्रकार आत्मा को सुख मोक्ष प्राप्त करने पर ही मिलेगा, और उसे पाने के लिए जैसे नाविक की नाव समुद्र की लहरों से लड़ती/जूझती है, उसी प्रकार हमें भी भोक्तिकता रूपी लहरों से जूझकर मोक्ष तत्व को प्राप्त करना है।
तो दोस्तों अब आप सभी शायद समझ गए होंगे कि आत्म कल्याण क्यों जरुरी है।
आतम कल्याण से ही प्राप्त होता है आत्म ज्ञान
दोस्तों यहाँ पर एक और बात आप सभी को बता दूँ कि आत्म कल्याण कि दशा प्राप्त होने के बाद ही आत्म ज्ञान की दशा की तरफ आत्मा अग्रसर होती है। आत्म ज्ञान की कई stages होती है जोकि हमारे पिछले कर्मों पर भी निर्भर करती है।
उम्मीद है दोस्तों आप आत्म कल्याण और आत्म ज्ञान दोनों के बारे में समझ गए होंगे अगर आप इससे related कोई प्रश्न हो तो कमेंट करके आप पूछ सकते है।