लाल बहादुर शास्त्री एक ऐसा नाम है जिसे सुनकर हम भारत वासियों का मन गर्व से भर जाता हैं। शास्त्री जी बस एक आम व्यक्ति नहीं हमारे देश की पहचान हैं, मानते-सम्मान हैं। आज भी उनकी नीतियों का पालन करते हुए हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी देश को चला रहे हैं। शास्त्री जी के विचार तब भी सराहनीय थे,आज भी है,और आगे भी रहेंगे। हम भारत वासियों के लिए यह सौभाग्य की बात है कि लाल बहादुर शास्त्री जैसे व्यक्ति ने हमारे इस धरती पर जन्म लेकर हमें नैतिकता का पाठ पढ़ाते हुए हमें एक साथ चलना सिखाया।
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जन्म/मृत्यु:-
शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में हुआ था। उनका हमारे भारत में जन्म लेना, भारतवर्ष के कल्याण करने के लिए जन्म लेने जैसा था। यह कहना गलत नहीं होगा क्योंकि उनके जैसे कर्म थे और उन्होंने जैसे-जैसे हमारे देश के लिए कार्य किए हैं, उनका जन्म लेना हमारे भारतवर्ष के कल्याण के जैसा ही है। एक पिता की भाती उन्होंने देश को विकास की गति दी, और नैतिकता का पाठ पढ़ाया।
पर हम लोगो के लिए दुख की घड़ी तब आई जब 11 जनवरी 1966 को वे अपना देह त्याग कर हमें छोड़कर स्वर्ग लोक चले गए। भारत वासियों के लिए वह छण इतना पीड़ादायक था कि आगे क्या कदम उठाएं इतना सोचने का भी उनके पास विवेक नहीं था क्योंकि एक व्यक्ति जो अपने नैतिक विचारों के साथ विवेकशील होकर देश को चला रहा था, वह जा चुका था।
उनकी पहचान:-
लाल बहादुर शास्त्री जी हमारे देश के दूसरे स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री थे अर्थात जवाहरलाल नेहरु जो प्रथम स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री थे, उनके बाद ही लाल बहादुर शास्त्री जी हमारे देश के दूसरे स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री बने और अपने नैतिक विचारों के साथ देश को संभाला और एक नई दिशा दी थी।
गांधीजी:-
लाल बहादुर शास्त्री जी महात्मा गांधी जी को बहुत मानते थे तथा महात्मा गांधी जी के विचारों से वह बहुत प्रभावित थे। इसीलिए वह जो भी करते थे, अपने अंदर गांधीजी के जैसे नैतिक विचारों के साथ ही कार्य करते थे, पर यह भी एक सच है कि जब पाकिस्तान ने भारतवर्ष में अकारण हमला किया था तब उन्होंने पलटवार इतनी जोर से की थी कि पाकिस्तान स्तब्ध रह गया, चुप हो गया। इससे यह पता चलता है कि लाल बहादुर शास्त्री जी थे तो गांधीजी के छात्र जैसे परंतु समय आने पर क्रांति की भावना ले आकर हिंसा को रोकना भी वह अपने अनुसार जानते थे। यही थी उनकी पहचान, यह थे हमारे लाल बहादुर शास्त्री जो थे भले गांधी जी के विचारों के साथ चलने वाले परंतु जरूरत पड़ने पर हिंसा को अहिंसा से हटाना तथा देश में शांति रखना वह अच्छी तरह जानते थे।
देश को विकसित बनाने में उनकी भूमिका:-
लाल बहादुर शास्त्री जी देश में आर्थिक से लेकर सामाजिक एवं सभी स्तरों में विकास लाने वाले प्रधानमंत्री थे। उनके कारण ही देश में दुग्ध क्रांति आई और जिससे हमारा देश सबसे ज्यादा दूध उत्पन्न करने वाला देश बन गया। इससे हमारी आर्थिक स्थिति में बहुत अच्छा सुधार आया करीब जो गाय चराते थे तथा जिनके पास और कोई साधन नहीं था अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए, लाल बहादुर शास्त्री जी के कारण वह गरीब किसान अपने साथ-साथ देश की भी आर्थिक स्थिति ठीक से चलाने में योगदान दे पा रहा था। और तो और लाल बहादुर शास्त्री जी ने हमारे देश में हरित क्रांति लाकर देश को पर्यावरण से जोड़कर विकास लाना सिखाया जिससे आर्थिक स्थिति के साथ-साथ सामाजिक स्तरों में भी एक अच्छी समानता बनी रही और तो और किसान जो दिन रात मेहनत करके देश को सभी प्रकार के अन्न एवं सुख सुविधा पहुंचा रहे थे, वही दरिद्र अवस्था से पीड़ित थे। इन सभी कष्टों का निवारण करते हुए लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा था “जय जवान जय किसान”। उनका यही नारा देश में फैल गया और आग बन कर ऐसा भड़का जिसने हमें सिखाया कि भगवान के बाद अगर कोई भगवान है, इस धरती पर तो वह किसान है, जो खुद को हमारे लिए, हमारी सुख सुविधा के लिए दिन-रात बिना कुछ मांगे बिना किसी वस्तु की चाह रखें मेहनत करते रहे, उन्हें भी भगवान की तरह पूजना चाहिए। जय जवान जय किसान इस नारे का अर्थ निकल कर अगर आता है तो जय जवान का अर्थ हुआ वह सैनिक जो सीमा पर रहकर देश की सुरक्षा कर रहा है, उसे भी पूजना चाहिए क्योंकि वह अपना घर, सुख, समृद्धि सभी को छोड़ ऐसी परिस्थिति में रहकर जिसमें कोई भी व्यक्ति नहीं रहना चाहेगा, ऐसी परिस्थितियों को झेल कर जिसे देखकर ही रूह कांप जाए, उस परिस्थिति में रहकर, उस परिस्थितियों को झेल कर वह हमारे देश की रक्षा करता है। वह सिपाही, वह जवान उसकी भी जय क्योंकि वही ऐसा व्यक्ति है, जो हमें सुरक्षित रखे हुए हैं अन्य देशों के अनैतिक विचारों से। इसलिए उसका भी सम्मान होना चाहिए और उसके साथ साथ किसान का भी सम्मान होना चाहिए क्योंकि जवान हमें सुरक्षा देता है और किसान हमें अन्न देता है। दोनों ही भगवान समान है। इसीलिए “जय जवान जय किसान” ऐसे नैतिक विचार रखने वाले भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ही तो थे। देश के विकास में उनके जैसा योगदान देने वाला ना आया है, ना आएगा क्योंकि देश को उन्होंने तब संभाला था जब देश ऐसी कठिनाइयों से गुजर रहा था, जिसका समाधान करने वाला कोई नहीं था। उस समय उन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला और देश को उन ऊंचाइयों तक पहुंचाया जहां से हमारा देश किसी भी समस्या से लड़ने लायक बन गया था। चाहे अन्य देश से लड़ना हो यह अपनी-अपनी कोई समस्या हो, सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान करने लायक लाल बहादुर शास्त्री जी ने अपने नैतिक विचारों से देश को वैसा बना दिया था। उनका योगदान सराहनीय है, पूजनीय है
एवं सीखने योग्य है।
आज के युवक जो भविष्य में अगर उस प्रकार के पदों में पहुंचते हैं, तो उनके विचार भी अगर लाल बहादुर शास्त्री जी जैसे हो तो भारत को विकसित बनाने में बहुत आसानी होगी। जो अमृत महोत्सव का सपना हम लिए चल रहे हैं कि आने वाले 25 वर्षों में हम देश को इतना विकासशील बना देंगे कि जब इसका 100 वर्ष पूरा होगा तो जिन जिन व्यक्तियों ने देश को एक उज्जवल भविष्य दिया था, उन्हें स्वर्ग से बहुत खुशी मिलेगी यह देखते हुए कि उन्होंने जो सपना देखा था, वह 100 वर्ष के आजादी के दिन पूरे होते ही हो गया।
सीख:–
आज के समय में हम युवाओं को लाल बहादुर शास्त्री जी से सीख लेनी ही चाहिए क्योंकि अब समय आ गया है कि देश को हम उन कठिनाइयों से लड़ने लायक, विकास लाने लायक अर्थात लायक बना दे कि हम जो चाहे वह हम ले पाए और उन सपनों को पूरा करें जो उन व्यक्तियों ने देखा था जिन्होंने हमें आजादी दिलाई, हमें अपना संविधान दिया तथा देश को एक ऐसा पहचान दिया जिसका देश हमारा हकदार था। हमें उनके लिए फिर से लड़ना होगा और लड़ने के लिए हमारे पास लाल बहादुर शास्त्री जी जैसे नैतिक विचार एवं समर्पण की भावना देश के प्रति होनी चाहिए तब जाकर हम 100 वर्ष पूरे होते ही आजादी के अमृत महोत्सव मना पाएंगे। यह सीख हम युवाओं को चाहे वह लाल बहादुर शास्त्री जी हो या कोई भी महान व्यक्ति, जिन्होंने देश को एक अच्छी शिक्षा दी थी उनसे सीख ले कर हम आज में भी देश के लिए कुछ कर गुजर जाए। ऐसी सोच रख कर हमें उन सभी से सीख लेनी चाहिए और देश को विकसित बनाना चाहिए। यह होनी चाहिए हमारे देश के युवाओं की सोच, तब जाकर हम अमृत महोत्सव देश के 100 वर्ष आजादी के पूरे होने पर मना पाएंगे।
मृत्यु से जुड़ी अनसुनी कहानी:-
कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि शास्त्री जी की मृत्यु सामान्य रूप से नहीं हुई थी परंतु अधिकतर लोगों ने शायद सच्चाई को दबाने के लिए कुछ और ही मनगढ़ंत कहानी देश के सामने रख दी जिसे हम आज सच ही मानते हैं, पर वह जो कुछ लोग थे उन्होंने जो कहा उसके अनुसार शास्त्री जी की मृत्यु सामान्य नहीं थी क्योंकि जब उनका मृतक शरीर देखा गया अर्थात जब उनका मृतक शरीर लाया गया तब उनके परिवार या किसी अन्य सदस्य को उनके करीब नहीं आने दिया जा रहा था और तो और जब उनकी पत्नी ने जोर दिया तब उन्होंने अपने पति के शरीर को देखा तो वह दंग रह गई, क्योंकि शरीर पर कहीं अलग अलग प्रकार के निशान थे उनके गले तथा पेट पर कुछ अजीत से निशान पड़ गए थे और तो और जो टोपी वह पहने रहते थे वह पूरी खून से लथपथ थी। यह सारी बातें साफ-साफ बता रही थी। कुछ लोगों ने यह बात चलाई थी कि हां लाल बहादुर शास्त्री जी का सामान्य रूप से मृत्यु नहीं हुआ है परंतु इन बातों का साथ किसी ने भी नहीं दिया। शास्त्री जी के साथ क्या हुआ यह आज भी एक राज ही है। देश का एक ऐसा व्यक्ति जिसने देश को सभी प्रकार से विकसित बनाने का प्रयत्न किया एवं वह सफल भी हुए, जिसने देश को सब कुछ दिया, बदले में जब देश से उन्होंने कुछ मांगा तो सब लोगों ने अपने हाथ खड़े कर दिए और वह व्यक्ति जो देश पर मर मिटा था, उसे वह नहीं मिला जिसका वह सच में हकदार था। उनकी मृत्यु आज भी कुछ लोगों के अनुसार सामान्य नहीं थी क्योंकि मृत्यु से बस एक या दो दिन पहले वह रसिया गए थे भारत और पाकिस्तान के बीच सुलह करने और अगले ही दिन उनकी मृत्यु हो गई। यह कैसे संभव है, पर यह हुआ और जिस प्रकार के तथ्य सामने आए थे, उससे तो साफ पता चल रहा था कि इनकी मृत्यु सामान्य रूप से नहीं हुई है। इन्हें मारा गया है। परंतु तभी के बड़े पदाधिकारियों ने चुप रहकर या यू कहे तो छुपा कर देश को गुमराह कर दिया और हमारे सामने यह बात लेकर आए कि उनकी मृत्यु सामान्य रूप से ही हुई है और यह बात वहीं के वहीं खत्म हो गई कि हां उनकी मृत्यु सामान्य रूप से नहीं हुई थी।
निष्कर्ष :-
लाल बहादुर शास्त्री जी मन में सरल भाव रखकर, देश के प्रति समर्पित हो कर चलने वाले मनुष्य थे। उनसे सीख लेना चाहिए सब को तथा उनके नैतिक विचारों पर चलना चाहिए। आएगा तब ही देश में विकास क्योंकि लाल बहादुर शास्त्री थे ऐसे, जिन्होंने दी थी सीख वैसे, जिससे आ रहा था देश में सचमुच में विकास। अगर फिर से वह सीख ले कर चल पड़े उन राहों पर तो हर गलियों में हिंद की ही जय होगी, तब आएगी नई बहार, नही रहेगा अनैतिक विचार मन में और समझोगे एक दूसरे को भाई-भाई, फिर लोगों में ना होगी लड़ाई क्योंकि तब सब तरफ बटेगा बस प्यार, ले आएंगे मिलकर एकता की बहार तभी खिलेगा हमारा चमन फूल के समान।
लाल बहादुर शास्त्री जी जैसे विचार सभी व्यक्तियों में आना देश को विकसित बनाने का पहला कदम है। यह पहला कदम लेते ही हम बिल्कुल उस पल के करीब होंगे जिस पल को देखने के लिए ना जाने कितनों ने अपने शरीर त्याग दिए, मृत्यु को गले लगा लिया, फांसी के फंदे को चूम लिया। हम वह कर लेंगे जो वह व्यक्ति करना तो चाहते थे पर कर नहीं पाए जिन्होंने देश पर मर मिट कर आजादी दिलाई , संविधान दिए और देश को एक पहचान दी, एक नया कल दिया। समय है,अब वह करने का जिससे आएगा देश में विकास क्योंकि आजादी हम लोगों को बहुत ही सस्ते में मिल गई थी। हमें इसकी महंगाई को समझना होगा क्योंकि जितने भी लोगों ने इसके विकास में अपने जीवन की आहुति दी थी उनके सामने हमारे इतने कर्म हमारे द्वारा होने ही चाहिए तब हम लाल बहादुर शास्त्री जी जैसे सभी महान व्यक्तियों की देश के प्रति इच्छाओं को पूरा कर पाएंगे।
धन्यवाद ।