प्रकृति के करीब रह कर कैसे अपने अंधकारमय जीवन से प्रकाशमय जीवन की ओर बढ़े|

पर्वत से सीखो गर्व से शीश उठाना , सागर से सीखो जी भरकर लहराना , प्रकृति नहीं सिखाती किसी को ठुकराना , इसे बस आता है सबको अपनाना |

भोर की सुनहरी किरण संग  प्रकृति की सुन्दरता भव्य निराली है  देखो मिलकर पेड़ो से किस तरह  मस्ती मे इठलाती डाली डाली है| 

फूलो  से सीखिए सबके जीवन मे रंग भरना , पेड़ो से सीखिए  ऊँचाइयो को छूना , कलियों से सीखिए मुस्कुरा कर जीना , काटो से सीखिए कष्टों से उबरना |

प्रकृति के प्रति आपकी आस्था ही, अनमोल जीवन से आपका वास्तविकता परिचय कराती है |

प्रकृति  की हर एक चीज हमारे लिए बेहतरीन शिक्षक है, वो हमें जीवन के बारे मे बहुत कुछ सिखाती है  जितना हम किताबो मे कभी नहीं सीख पते |

खामोशी का अपना अलग ही मजा है, पेड़ो की जड़े फड़फड़ाया  नहीं करती |

वो इंसान दूनिया मे सबसे धनवान है जो कम से कम मे भी संतुष्ट है , क्योकि संतुष्टि ही प्रकृति की दौलत है |

लगता नहीं है भय हमें , किसी भावी तूफ़ान से |अडिग पहाड़ की भाति 'मानस ' खड़े है डटकर शान से || मालूम पुष्प को है मानस  चंद प्रहर  मे मुरझाऊंगा | जब तक जीवित हू तब तक संसार सुगन्धित कर जाऊंगा |

प्रकृति का अध्ययन करे, प्रकृति से प्रेम करे,  प्रकृति के करीब रहे  | यह तुम्हे कभी भी असफल नहीं करेगा|