श्री अनिरुद्धाचार्य जी के द्वारा जीवन पर कहें गए अनमोल वचन
सच्चाई और अच्छाई की तलाश में पूरी दुनिया घूम लें अगर वह हमारे अंदर नहीं तो कही नहीं|
दूध, दही, छाछ, मक्खन, घी सब एक ही वंश के है, फिर भी सबकी कीमत अलग है क्योंकि श्रेष्ठता जन्म से नहीं, बल्कि अपने कर्म, कला और गुणों से प्राप्त होती है।
पाप कर्म एक ऐसा प्रोडक्ट है, जो खरीदने में सस्ता लगता है पर उसका दाम चुकाते चुकाते जीवन बीत जाते हैं।
जीवन में कभी भी हार मत मानो क्या पता आपकी अगली ही कोशिश आपको कामयाबी की ओर ले जाए|
नेत्र हमें केवल दृष्टि प्रदान करते हैं. परंतु हम कब किसमें क्या देखते हैं. ये हमारी भावनाओं पर निर्भर करता है।
अपने घर के बुजुगों की आँख कभी भीगने मत देना क्योंकि जिस घर की छत से पानी टपकता है, उस घर की दीवारें भी कमजोर हो जाती हैं|