Money Management Series #1 – in Hindi
Time Management के बारे में आपने बहुत सुना, Money Management के बारे में नहीं
आपने बचपन से लेकर अभी तक Time Management के बारे में काफी पढ़ा और सुना होगा। लेकिन Money Management के बारे में शायद ही आपने ज्यादा कुछ पढ़ा या सुना होगा। आज के इस Article में हम इसी के बारे में थोड़ा Discuss करेंगे। So Let’s Start Dear Brothers & Sisters.
Money Management कोई Rocket Science नहीं है, लेकिन यदि आपने अपने पैसों को अच्छे से manage करना सीख लिया तो आप Middle Class Trap को तोड़ सकते हैं। वैसे Middle Class Trap क्या है इस पर आगे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
इससे पहले हम Topic पर आएँ, आपको मेरी Money Management Journey से थोड़ा रूबरू करवाते हैं।
मेरी Money Management Journey
मैं एक छोटे से गाँव में पैदा हुआ, वहीं मेरी Schooling हुई, और मेरा पूरा बचपन गाँव में ही बीता। मेरे पापा बतौर एक टीवी मैकेनिक के रूप में काम करते थे और आज भी वही करते हैं। मेरे दादाजी जो कि अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनका गुड़ का व्यापार था। जिसे वो और उनके दोस्त साथ में चलाते थे।
तो मैंने बचपन से अपने दादाजी, पापाजी और चाचाजी को देखा जो Self Employed थे, जिनका रोजगार कुछ इस तरह का था कि रोज कमाना, रोज खाना।
दादाजी का गुड़ का व्यापार
मेरे दादाजी ने गुड़ का व्यापार शुरू किया। वो एक मारवाड़ी से गुड़ खरीदते या किसी गाँव में जिस टाइम गन्ने की फसल कट जाती, तो वो किसान जो गुड़ बनाते, उनसे वो गुड़ खरीदते। और 50kg, 60kg तक गुड़ को बोरी में भरकर अपनी साईकिल से आसपास के गाँव और बाज़ार में बेचने के लिए जाते।
इससे वो दिन का ठीक ठाक कमा लेते जिससे उनका परिवार चल जाता। अब परिवार में उनके नीचे 9 लोग थे। मतलब दादाजी को मिलाकर कुल 10 लोगों की Joint Family थी। जिस दिन दादाजी यह काम नहीं करते, तो उस दिन की कमाई 0 Zero होती।
पापाजी का सर्विस मॉडल
मेरे पापाजी का Service Model आधारित काम था। जैसे किसी के घर की टीवी खराब हो गई तो वो Same day उनके घर पर जाकर टीवी को रिपेयर करते थे। और यदि उन्होंने एक दिन में 4 से 5 टीवी को रिपेयर कर दिया तो उनकी भी ठीक ठाक Income हो जाती थी।
चाचाजी का दुकान
मेरे चाचाजी का एक छोटा सा दुकान था जिसे वो गाँव के चौक में चलाते थे।
Money Management की गड़बड़ी
तो कुल मिलाकर घर में तीन लोग काम करते थे, और तीनों की यह जिम्मेदारी थी कि वो घर के ख़र्चों को मैनेज करें, रसोई के लिए जो समान की जरुरत हो उसे ध्यान रखें और घर के सभी छोटी बड़ी ज़रूरतों को पूरा करें।
यहाँ तक तो सब ठीक था, लेकिन Money Management, इन तीनों का ही बहुत गड़बड़ था। ये सब जितना कमाते थे उससे ज्यादा खर्च हो जाता था। और कई बार तो इन्हें उधारी में भी चलना पड़ता था।
अब मैं अपनी बात करता हूँ, मैं बचपन से अपने घर में इन तीनों को देखकर ही बड़ा हुआ। पैसों को लेकर मैंने इनसे काफी सारी चीज़ें सीखीं, और यह भी सीखा कि मुझे क्या चीज़ नहीं करना है।
मुझे भी लगता था कि मैं पूरी लाइफ़ इनके जैसे अकेला काम कर सकता हूँ, न तो मेरे दादाजी ने किसी तरह की कोई टीम बनाई, न पापा और चाचा ने।
तो मेरे करियर की शुरुआती दिनों में मैंने भी ऐसा ही किया, क्योंकि शुरुआत अकेले से ही होती है। लेकिन मैं समझ गया कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। और हाल ही में मैंने एक टीम बनाया और अपने दायरे को बढ़ाया।
Money Management का Connection
अब सोचिए कि मेरे दादाजी ने यदि सारा काम खुद करने की बजाय, किसी एक भरोसे लायक़ व्यक्ति को अपने नीचे काम करने के लिए रख लिया होता तो वो दिन का ज्यादा Income कर सकते थे, Same यदि मेरे पापा ने भी किसी को एक बेसिक स्किल सिखाकर अपना दायरा बढ़ाया होता तो शायद आज वो और ज़्यादा Income Generate कर सकते थे।
Money Management का सीधा मतलब आपके पैसों को कुछ इस तरह से मैनेज करना है, कि वो Inflation (महंगाई) को मात दे सके। इसको यदि और सरल करें तो आपका पैसा हर दिन ग्रो करे और आपको अपना ज्यादा समय और एनेर्जी भी देना न पड़े।
मेरी गलती से सीखें
2018 में मेरी इकलौती बहन की सगाई थी, और मेरे Mind में यह था कि मेरी अकेली बहन के लिए कुछ Special किया जाए। अब मेरे पास जो Savings थी उससे मैं उतने सही तरीक़े से इस दिन को यादगार नहीं बना सकता था, मतलब मेरे Mind में था कि ज्यादा पैसे होंगे तो ज्यादा अच्छे से Event को organize किया जा सकता है।
मैंने कुछ दोस्तों से उधार माँगा लेकिन मुझे कहीं से मदद नहीं मिली, लेकिन मैंने निखिल जैन जो कि ज्ञान पूँजी के founder और मेरे अच्छे दोस्त हैं उनसे एक बार कहा तो उन्होंने मुझे एक X Amount सेंड किया और एक दो जगह से मैंने पैसे लिए।
Emotions में Decisions लेना सही नहीं
सगाई का कार्यक्रम धूमधाम से सम्पन्न हुआ लेकिन इसके बावजूद कुछ Relatives को यह पसंद नहीं आया। खैर ऐसा होता ही है कि आप अपना बहुत पैसा ऐसी चीजों में लगाते हैं जहां आपके Emotions जुड़े हुए होते हैं और यह ग़लत नहीं है पर यह समझदारी भी नहीं है।
अब क्योंकि मैंने उधारी पर पैसे लिए थे, और उन्हें लौटाना था, तो मैंने एक साल में अपना पैसा लौटाया और निखिल जैन जी को उतना ही अमाउंट मैंने रिटर्न किया जो उन्होंने भेजा था। तो एक तरह से उनका एक बड़ा loss मेरी वजह से हुआ।
अब यदि वो वही पैसा किसी को high interest पर देते, या Lumpsum Investment करते तो भी साल का 12% से ज़्यादा का उन्हें Return मिलता।
Emotions में आकर पैसों को लेकर Decisions लेना सही नहीं है। और ये कड़वी सच्चाई है कि हम Indians के पैसों को लेकर ज्यादा से ज्यादा निर्णय सही नहीं होते। खैर यह चीज़ें भी ज़रूरी है लेकिन Money Management को ध्यान में रकेंगे तो Starting के दिनों के लिए यदि आप Savings और Investment को समझने के शिखर पर आगे बढ़ना चाहते हैं तो उस point में Emotions को थोड़ा कंट्रोल करें।
पैसों को Manage करने की आदत
Back to the topic, पैसों को Manage करने के Habit को अपने अंदर कैसे लाएँ और कहाँ कहाँ कितना Invest और Save करें ये सारी चीज़ें हम One by One यहाँ Discuss करेंगे।
साथ ही जो चीज़ें मैंने अपनी family से सीखीं इसके अलावा मैंने कुछ ऐसी Books से knowledge gain की हैं जो मेरे Wealth को increase करने और पैसों को लेकर मेरी समझ को बढ़ाने में काफी ज्यादा helpful रहे हैं।
अगले लेख में चर्चा
Well इस article के दूसरे Parts में हम विस्तार से इन चीजों को समझेंगे।
हमने इस Article को Interesting बनाने का try किया है & I hope कि आपको यह article पढ़ने में अच्छा लगा हो, और हमारे दूसरे लेखों के मुक़ाबले Money Management की यह Series आपको पसंद आए।
यहाँ हम पैसों को लेकर पूरी Practical जानकारियाँ आपके साथ Share करेंगे और अपने Practical experience भी आपके साथ बाँटेंगे ताकि हमारे साथ आपकी Life में भी पैसों को लेकर एक अच्छा Impact आए।
धन्यवाद। जय हिंद ।
किरण साहू