उस रावण को जलता हुआ कैसे देख लूँ
जो राजा एक महान था
मानता हूँ था वो गलत
लेकिन उसमें गुणों का भंडार था
किया था उसने सीता हरण
लेकिन मर्यादा का वो पक्का था
किया था युद्ध राम से,
लेकिन महान शिव भक्त था,
मृत्यु से पहले ही देखली थी उसने अपनी पराजय,
क्योंकि पंडितों के पंडित वह विद्वान था,
आज भी जब पंडितों को न मिले जवाब किसी बात का,
तो खोलकर देखे वह रावण संहिता इसी महान की,
करी थी एक गलती इसने,
लेकिन फिर भी मर्यादा से बाहर कभी न आया था।
दोस्तों, रावण को दुष्टता का प्रतीक माना जाता है, लेकिन मैं रावण को एक महान व्यक्ति के रूप में देखता हूँ। भले ही किया था उसने गलत, लेकिन जो आजकल होता है, क्या वह नही है गलत? उसकी एक गलती थी,जिसकी वह सजा भुगत चुका और मर भी गया ,लेकिन आज इतने रावण है, जो गलतियों पर गलतियां किये जाते है,लेकिन फिर भी खुलेआम फिरते है और अगर किसी को सजा हो भी जाये तो क्यों नही उसका बुरा कहा जाता, सिर्फ और सिर्फ रावण को ही बुराई का प्रतीक क्यों माना है?
उसने सीता हरण किया था, पर कभी उनके साथ जबरदस्ती न करी और जो आजकल लोग करते है वो?
रावण महान पंडित था, उसके द्वारा लिखी रचनाये आज भी महान है। रावण ने ही रावण संहिता लिखी, जिसके आधार पर पंडित कुंडली देखते है।
माना किया उसने गलत,लेकिन इतना भी गलत न था कि हज़ारो सालों तक उसे इस पाप से मुक्ति ही न मिले। आजकल तो हज़ारों/लाखो दुष्ट बने बैठे है जो रावण से हज़ारों/लाखों गुना अधिक दुष्टता करते है, उनका क्या?
जरा सोचिए और आप भी हमारे साथ अपने विचार सांझा करे कि क्या रावण सच मे इतने बड़े पाप का भागी था? क्या हमें उसकी सब खूबियों को भूलकर सिर्फ उसकी बुराई को ही देखना चाहिए, जिसकी वह सजा भी पा चुका?
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