हर दिन को ऐसे जीयें
जैसे रोज मंगलवार हो
दोस्तों, ऐसा क्यों लिखा कि रोज मंगलवार हो, क्या आप कुछ समझे? अगर नही, तो चलिए मैं ही बता देता हूँ।
हफ्ते में एक दिन मंगलवार आता है और उस दिन ज्यादातर सभी लोग किसी भी बुरे काम को करने से परहेज करते है। जैसे कि शराबी मंगलवार के दिन शराब से परहेज रखते है, मांसाहारी इस दिन मांसाहार से परहेज करते है। कई अन्य लोग जो कुछ बुरा करने का सोचते है वह भी अपने उस बुरे काम से परहेज करते है। यानी कि मंगलवार को सबसे अच्छा दिन बनाकर रखते है और किसी भी बुरे कर्म को करने से पहले हज़ार बार सोचते है।
लेकिन जो लोग एकदम जागरूक रहते है, वह तो हमेशा ही बुरे कामों से बचते है और तो और बुराई सोचने से भी परहेज रखते है। क्योंकि इनकी चेतना जागृत है।
लेकिन जो सिर्फ मंगलवार का परहेज करते है, क्यों न वह भी हर दिन को मंगलवार मानकर ही जीयें? क्योंकि उन्हें भी पता है वह बुराई करने जा रहे है इस कारण एक दिन परहेज, पर बाकी दिन क्यों नही? वह भी तो भगवान के ही बनाएं हुए दिन है और भगवान प्रत्येक क्षण हमारे कर्मों को देख रहे है।
इसलिए ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जो मंगलवार को बुराई करने से बचता है, वह हर दिन को ही मंगलवार समझे क्योंकि ऐसे लोग किस्मत वाले है कि ईश्वर ने उन्हें अच्छाई बुराई में फर्क करने की समझ बक्शी क्योंकि ऐसे भी बहुत लोग है, जिन्हें अपने सिवा कुछ नजर ही नही आता।
हर जीव में जान है, हर एक को अपनी जान प्यारी है, चाहे वो इंसान हो या चाहे छोटी-सी चींटी। इसलिए हर एक मे एक ही परमात्मा की जोत मानकर, सभी बुरे कर्मों का त्याग करें और किसी को भी दुख न पहुंचाएं और हर एक को खुश रखने का प्रयास करे ।
ईश्वर भी अपने उन भक्तों के साथ है
जो उनके बनाएं जीवों पर दया रखता है।
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