जिस व्यक्ति ने जीवन में
अच्छे संस्कार और
अच्छे विचारों को पकड़ लिया हो,
तो ऐसे व्यक्ति को
माला पकड़ने की
जरूरत नही रहती।
जिस व्यक्ति का चरित्र ही उच्च हो, उच्च कोटि के विचार और दयालु स्वभाव हो, ऐसा व्यक्ति सबसे श्रेष्ठ में से एक है। माला जपने का अर्थ ईश्वर का नाम लेकर आत्मशुद्धि करना ही है और जिस व्यक्ति के पास अच्छे विचार और अच्छे संस्कार हो तो इसका मतलब उसे तो ईश्वर मिल ही चुके हुए है ।
जो झूठ न बोलता हो, हिंसा न करता हो , शुद्ध तथा निर्मल स्वभाव का मालिक हो और सभी से प्रेम करे, ऐसा व्यक्ति यदि पूजा-पाठ न भी करे तो भी उसकी सद्गति निश्चित है ।
दोस्तो, बस एक बात याद रखे पूजा-पाठ करे चाहे न करे,लेकिन अगर आप सभी का भला चाहते है तो ईश्वर हर समय आपके साथ ही है, और अगर कोई मन-ही-मन द्वेष भाव रखता है तो ईश्वर को जितना मर्जी पूज ले ,वह उसे नही मिल सकते।
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