अगर कोई व्यक्ति सबको यह कहता रहे कि ईमानदार व्यक्ति जैसा कोई व्यक्ति होता ही नही, ईमानदारी नाम की चीज ही नही है, तो उस व्यक्ति से दूरी बनाकर ही रखिये यही आपके लिए बढ़िया है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति से धूर्त व्यक्ति कोई हो ही नही सकता।
ईमानदारी कोई शब्दो की मोहताज नही, यह बन्दे के कर्म है, उसके असूल है, उसकी लाइफ का discipline है, उसके घर वालों के दिए उसको संस्कार है।
जैसे कुएं में रहने वाला मेंढक सोचता है न कि यह कुआं ही सब कुछ है इससे बड़ा या इससे बाहर कुछ है ही नही, वैसे ही वह धूर्त व्यक्ति है, उसके लिए ईमानदारी नाम की चीज ही नही है, उसके लिए सिर्फ और सिर्फ धूर्तपंती ही है।
ऐसा व्यक्ति या तो आपको भी धूर्त बनने को कहेगा, अगर आप उसे ईमानदारी का पाठ पढ़ाने लगोगे तो वैसे ही कुएं के मेंढक की भांति आपको अन्य धूर्तों के साथ मिलकर मारकर भगा ही देगा।
इसलिए धूर्त व्यक्ति से बचकर ही रहिये इसी में आपकी भलाई है और उसे ईमानदारी का पाठ पढ़ाने की गलती भूलकर भी मत कीजियेगा।
जैसे सज्जन व्यक्ति अपनी सज्जनता नही छोड़ते, वैसे ही धूर्त लोग धूर्तपना नही छोड़ते।
दोस्तों अगर लेख में लिखा शब्द थोड़ा बुरा लगा हो तो माफ कीजियेगा, लेकिन यही जीवन को सच्चाई है। अगर आपके साथ ईमानदार लोग है, तो उनके साथ जीवन व्यतीत कीजिये। उन्ही के साथ मित्रता रखिये, नही तो आपकी जिंदगी बद्द से बद्दतर बनने में देर न लगेगी।
आगे भी ऐसी ही ज्ञान की बातें/कहानियां पढ़ते रहने के लिए ज्ञानपुंजी हमेशा याद रखे।