भारत त्योहारों का देश है। अगर हम समूचे भारत देश की बात करे तो यहाँ पर हर दिन कहीं न कहीं कोई न कोई त्यौहार मनाया ही जाता है ।यह त्यौहार सामाजिक भी होते है कुछ ऐतिहासिक भी और कुछ पौराणिक भी । बहुत से ऐसे त्योहार होते है जो किसी-किसी जन-जाती के लोगो द्वारा ही मनाये जाते है । लेकिन भारतवर्ष में मनाये जाने वाले त्योहारों में एक त्यौहार दिवाली का भी है ।जैसे फलों का राजा आम है और ऐसे ही अगर हम त्योहारों के राजा (King Of Festivals) की बात करें तो त्योहारों का राजा दिवाली का त्यौहार है ।यह त्यौहार सिर्फ समूचे भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है । दिवाली का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है जिसका हर एक बच्चे और बूढ़े को बेसब्री से इन्तजार रहता है ।यह त्यौहार पौराणिक कारणों से भी मनाया जाता है और ऐतिहासिक कारणों से भी । हर एक वर्ग के लोगों की अलग-अलग मान्यता है फिर भी सभी लोग इसको मिल-जुलकर बहुत हर्षोल्लास और प्रेम से मनाते है ।
आईये अब इस त्यौहार से जुड़ी बातों के बारे में जानते है –
दिवाली के त्यौहार को दीपावली भी कहा जाता है । दीपावली और दिवाली दोनों में ही इसका शाब्दिक अर्थ same ही है । दीपावली शब्द ‘दीप’ और ‘आवली’ को मिलाकर बना है ,जिसमे दीप अर्थात ‘दीया’ और आवली अर्थात ‘पंक्ति’ ,दीपावली का अर्थ हुआ दीपों की पंक्ति और दिवाली शब्द में भी समान अर्थ ही है ,जिसमे ‘दीव’ अर्थात ‘दीया’ और ‘आवली’ अर्थात ‘पंक्ति’। दिवाली वाले दिन सभी लोग अपने-अपने घरों को दीयो की रौशनी से जगमग करते है,इसलिए इस त्यौहार का नाम दिवाली पड़ा ।
दिवाली का त्यौहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है । अमावस्या की रात घोर अँधेरे वाली होती है लेकिन फिर भी इस दिन अँधेरा नहीं बल्कि हर तरफ रौशनी-ही-रौशनी होती है ।
वैसे तो दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को ही होता है अर्थात दिवाली तो एक दिन-रात की ही हुयी लेकिन यह त्यौहार अकेला नहीं आता इसलिए अगर हम कहें तो दिवाली का त्यौहार 5 दिनों तक मनाया जाता है ,जिसमे दिवाली तीसरे दिन होती है ।
दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का त्यौहार होता है ,इस दिन लोगों मे मान्यता है कि बर्तन खरीदना शुभ होता है । बहुत से लोग इस दिन गहने वगैरह भी खरीदते है । जो जितना भी खरीद सकता हो वो उसी हिसाब से सोना-चांदी वगैरह (Gold-Silver etc) खरीदता है ।अधिकतर हर एक परिवार बर्तन या फिर कोई-न-कोई गहना जरूर खरीदता है । धनतेरस के बारे में अधिक जानने की लिए click करे
दिवाली से एक दिन पहले नरक-चतुर्दशी जिसे नरक-चौदस भी कहते है ,होती है । नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली के रूप में भी जाना जाता है । बहुत से लोग इस दिन नरक के पापों से मुक्ति पाने के लिए व्रत भी रखते है और ब्राह्मणों को भोजन कराते है तथा दान देते है । नरक चतुर्दशी के बारे में अधिक तथा विस्तार से जानने के लिए click करे.
दिवाली के तीसरे दिन तो दिवाली ही होती है । इस दिन लोग अपने सगे-संबधियों को उपहार और मिठाईया (Gifts & Sweets) देते है ,देवी लक्ष्मी की पूजा करते है तथा अपनी-अपनी मान्यता अनुसार पूजन करते है और बहुत से बच्चे और बूढ़े पटाखे भी चलाते है ।
दिवाली से अगला दिन गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है ।
दिवाली का आखरी दिन भैया दूज के रूप में मनाया जाता है ।
यह हुयी बात दिवाली के पाँचों दिनों की ,आईये अब आगे इसके बारे में जानते है ।
दिवाली का त्यौहार रौशनी का त्यौहार है । दीपावली की रात को सब लोग अपने घरों में दीये जलाकर अमावस्या की रात को भी उजाला कर देते है ।आधुनिकता के कारण अब बहुत से लोग अँधेरा दूर भगाने ले लिए अपने घरों में बिजली की Lights का भी उपयोग करते है । लेकिन दीये का महत्व अपना ही है ।
Diwali Festival आध्यातमिक Festival भी है । इस दिन सभी लोग पूजन करते है और बहुत से लोग इस रात को पाठ-पूजन करने में भी व्यतीत करते है । कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते है ।घरों को रोशन करने के इलावा यह त्यौहार हमें अपने अंदर के अन्धकार को भी ख़तम करने का सन्देश देता है क्योंकि जो मनुष्य के अंदर विकार रुपी अन्धकार भरा पड़ा है ,उसे अध्यात्म के द्वारा ही ख़तम किया जा सकता है ।
यह भी कहा जाता है कि दिवाली की रात तांत्रिक विद्या और काली शक्तियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण रात होती है । कुछ लोगों का मानना है कि जो लोग जादू-टोना करते है ,इस रात को उनकी शक्तियों में भी वृद्धि होती है।
इस दिन बच्चे क्या और बूढ़े क्या ,सब लोग मिलकर खूब पटाखे भी चलाते है । वैसे सब तो कहना सही नहीं रहेगा ,लेकिन हाँ बहुत से लोग तो चलाते ही है ।
लेकिन हमें इस त्यौहार को अध्यात्म से ही मनाना चाहिए क्योंकि पटाखे एक तो बेफजूल का खर्च है और दूसरा इससे प्रदुषण भी बहुत होता है और तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण इससे जीव हिंसा भी होती है ,बहुत से सूक्ष्म और अति-सूक्ष्म जीव पटाखों के कारण मर जाते है और एक छोटा-सा पटाखा चलाने से ही हज़ारों,लाखों जीवों की हिंसा होती है । इसके इलावा जानवरों और पंक्षियों के लिए भी पटाखे बहुत घातक सिद्ध होते है । यही नहीं इससे हमें भी कानों ,आँखों ,सांस और चमड़ी की दिक्कत भी हो सकती है ।
इसलिए इस त्यौहार का आनंद तो लीजिये लेकिन पटाखों से नहीं बल्कि रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ मिलकर और अध्यातमिक तरीके से इसे मनाईये ।
दिवाली का त्यौहार साफ़-सफाई का त्यौहार भी है । दिवाली आने से कुछ दिन पूर्व ही लोग अपने घरों की सफाई करना शुरू कर देते है । कई लोग अपने घरों को रंग भी कराते है ।
दिवाली का त्यौहार हिन्दू धर्म के लोगों ,जैन धर्म के लोगों ,सिख धर्म के लोगों तथा बोद्ध धर्म के लोगों में बहुत ही हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है ।
जानिये हिन्दू धर्म में दीपावली की मान्यता
जानिये जैन धर्म में दीपावली की मान्यता
जानिये सिख धर्म में दीपावली की मान्यता
जानिये बोद्ध धर्म में दीपावली की मान्यता
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वैसे तो दिवाली की मान्यता भारत में ही है लेकिन यह त्यौहार अन्य बहुत से देशों में भी मनाया जाता है ।
दिवाली का सबसे अधिक महत्व भारत के इलावा नेपाल में है । लेकिन उनकी रीत और परम्परायें अलग है । नेपाल संवत के अनुसार दिवाली का दिन साल का आखरी दिन होता है ,इससे अगल दिन उनका नया साल शुरू होता है ।
इसके इलावा दिवाली का त्यौहार मलेशिया ,सिंगापूर ,श्री लंका , ऑस्ट्रेलिया ,न्यूज़ीलैंड ,फिजी ,मॉरिशस ,ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका में रह रहे भारतियों द्वारा भी काफी धूम-धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है ।
भारतीय समाज में जितने भी त्यौहार मनाये जाते है ,सभी के सभी आपस के प्रेम और सम्मान को बढ़ाने के लिए मनाये जाते है। दिवाली का त्यौहार भी एक ऐसा ही त्यौहार है जो आपसी प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। दिवाली के उपलक्ष्य में मिठाई और उपहार आदि बांटना इसी की ही निशानी है कि लोगों में आपसी मेल बना रहे तथा एक-दूसरे के साथ प्रेम बढ़ता रहे ।
दिवाली का त्यौहार आपस में प्रेम-प्यार बढ़ाने और बाहर और मनुष्य के अंदर के अन्धकार को ख़तम करने का त्यौहार है ।लेकिन फिर भी कुछ लोग अपनी गलत सोच या फिर ऐसा कहे अपनी गलत आदतों के कारण महान और पवित्र त्यौहार के दिन भी गलत काम करने से नहीं हटते ।इस दिन कुछ लोग शराब पीकर दुसरो की ख़ुशी को भी खराब कर देते है और कुछ लोग जोकि जुआ आदि खेलते है उनकी धारणा है कि जो दिवाली को जुआ नहीं खेलता वह नरक में जाता है ।
जो लोग भी ऐसा सोचते है उनकी यह धारणा बिलकुल गलत है ।यह त्यौहार ख़ुशी और अध्यात्म का त्यौहार है। इस दिन ऐसे कार्य भूलकर भी नहीं करने चाहिए , इस दिन ही क्या गलत कार्य इंसान को कभी भी नहीं करने चाहिए ।दोस्तों आपको दीपावली के त्यौहार पर यह जानकारी कैसी लगी ,comment करके जरूर बताये और अपने दोस्तों के साथ share करना न भूले ।
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बढ़िया सामयिक प्रस्तुति
दीपावली की अग्रिम हार्दिक शुभकामनायें!