क्रोध करने से व्यक्ति
अपनी ही हानि करता है।इससे दूसरे को कम
लेकिन स्वयं को अधिक
सजा मिलती है।
जो क्रोधी है उसे कोई सजा देने
की आवश्यकता नही ,उसका क्रोध ही उसे सबसे बड़ी
सजा देगा जिससे वह बच न पायेगा।
क्योंकि क्रोध करने से स्वयं का ही नुकसान होता है। दिमाग पर जोर इतना अधिक बढ़ जाता है कि, वह क्रोधी के ही शरीर को नष्ट करने लग जाता है।