क्रोध करने से व्यक्ति
अपनी ही हानि करता है।इससे दूसरे को कम
लेकिन स्वयं को अधिक
सजा मिलती है।
जो क्रोधी है उसे कोई सजा देने
की आवश्यकता नही ,उसका क्रोध ही उसे सबसे बड़ी
सजा देगा जिससे वह बच न पायेगा।
क्योंकि क्रोध करने से स्वयं का ही नुकसान होता है। दिमाग पर जोर इतना अधिक बढ़ जाता है कि, वह क्रोधी के ही शरीर को नष्ट करने लग जाता है।
आत्म-अनुशासन का महत्व हमारे जीवन में बहुत बड़ा है। चाहे आप अपने व्यक्तिगत जीवन में…
भारतीय शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों (Retail Investors) की भागीदारी में जबरदस्त वृद्धि हुई है,…
विज्ञान एक ऐसा विषय है जो प्रकृति में उपस्थित प्रत्येक वस्तु की क्रमबद्ध जानकारी प्रदान…
सोचने से कुछ न होगा… करने से होगा Daily Motivation in Hindi दोस्तों, जब…
Article on Procrastination in Hindi दोस्तों आज मैं इस साइट पर एक Daily Motivational…
Money Management Series #1 – in Hindi Time Management के बारे में आपने बहुत सुना,…
View Comments
पानी को कितना भी गर्म कर लें पर वह थोडी देर बाद अपने मूल स्वभाव में आकर शीतल हो जाता है । वैसे ही व्यक्ति का मूल स्वभाव निर्भयता और प्रसन्नता है । इसलिए उसे अपने इसी स्वभाव को ही अपनाना चाहिए। क्रोध से अशान्ति के शिवा कुछ हासिल नही होता है । इस उत्तम विचार को शेयर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।