हर कोई life में ऊंचा मुकाम हासिल करना चाहता है और सभी चाहते है कि उनकी अपनी एक पहचान हो और उनका रुतबा हो। सभी आदर सम्मान करे।
क्यों सही है न ? Mostly हर एक ऐसा ही सोचता है लेकिन कुछ ही कामयाब हो पाते है ,और उनमे से भी बहुत ही कम है जो सही मायनों में कामयाब होते है। लेकिन बहुत से ऐसे होते है जिनकी कामयाबी कुछ ही समय तक रहती है और जल्द ही उनकी कामयाबी भी गायब, या फिर कामयाब तो रहते है लेकिन इज्जत नहीं प्राप्त कर पाते और पीठ पीछे लोग उनकी बुराई ही करते रहते है और यह बात उन्हें भी मालुम होती है।
लेकिन ऐसा क्यों ? क्यों कामयाब लोगो की अधिकतर सभी बुराई करते है और कुछ ही विरले लोग होते है जिनकी कोई बुराई नहीं करता। ऐसा क्या reason है कि जो ऊँचे मुकाम पर पहुँच जाते है ,लोग पीठ पीछे उनकी उतनी ही बुराई करते है ?
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इसका reason एक कहानी पढ़ने के बाद पता लग जाएगा।
गोपाल और हर्ष दो दोस्त जोकि अमीर परिवार से थे ,घूमने के लिए गए। वह घूम-फिरकर enjoy कर रहे थे तभी उनके पास एक छोटी बच्ची आयी ,जिसने फटे-पुराने कपड़े पहने हुए थे और शरीर पर मिटटी भी लगी हुयी और उस बच्ची ने हर्ष को पकड़ा और पकड़कर जैसे ही कुछ बोलने को हुयी ,हर्ष ने एकदम से उसे धक्का दे दिया और गुस्से में उसे बोलने लगा कि तुमने मुझे क्यों छुया और गालिया भी देने लगा। एकदम से वह बच्ची सहम गयी और रोने लग गयी। गोपाल उस लड़की की तरफ उसे चुप कराने के लिए जाने लगा लेकिन तभी हर्ष बोला ,”क्यों इस गन्दी लड़की को छूते हो ,छोड़ो…….. और चलो ,रोने दो ,अपने आप रोकर चुप हो जायेगी। ” लेकिन गोपाल ने हर्ष की बात को अनसुना कर दिया और उसके पास जाकर पूछा ,क्या हुआ ,तुम रो क्यों रही हो?
वह बच्ची पहले तो कुछ न बोली ,लेकिन जब गोपाल ने दुबारा पूछा तो कहने लगी ,” Uncle .मेरा छोटा भाई Hospital में बीमार पड़ा है और हमारे पास इतने पैसे नहीं कि इलाज करा सके ,इसलिए इलाज के लिए कुछ पैसे चाहिए थे। “
बच्ची की बात सुनकर एकदम से हर्ष बोला ,”चलो चलते है गोपाल ,क्यों इनके मुँह लगते हो ,यह ऐसे ही बहाने बना-बना कर मांगते है और कुछ करते नहीं ,रोना-धोना तो सब इनका नाटक है।”
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हर्ष के ऐसा बोलते ही लड़की को और भी अधिक रोना आ गया और हर्ष ने गोपाल को एक बार फिर चलने के लिए कहा।
लेकिन गोपाल को लग रहा था कि लड़की सच कह रही है और उसने हर्ष से कहा तुम जाओ ,मैं आता हूँ।
हर्ष ने गोपाल को चलने के लिए जोर दिया लेकिन वह माना नहीं।
गोपाल ने लड़की को गाड़ी में बैठकर हॉस्पिटल चलने के लिए कहा ,लेकिन इससे लड़की और भी डर गयी और कहने लगी मैं पैदल ही आती हूँ और इस वाले हॉस्पिटल में आप पहुंचिए ,अगर मैं आपकी गाड़ी में बैठी तो यह गन्दी हो जायेगी।
गोपाल थोड़ा गुस्से से बोला की गाड़ी में बैठो ,वह लड़की थोड़ा डर भी गयी और अंदर ही अंदर खुश भी हुयी की uncle शायद उसके भाई की मदद करेंगे।
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जो hospital उस girl ने बताया वह उसे वही ले गया और वहां जाकर उसके भाई को देखा जोकि सच में बीमार था और डॉक्टर से भी मिला। गोपाल ने doctor से उसकी दवाईयों वगैरह का खर्च पुछा और उन्होंने जितना भी खर्चा बताया सुनकर एकदम हैरान हो गया ,और पास ही खड़ी उस बच्ची से पूछा कि ,”क्या तुम लोगो के पास इतने भी पैसे नहीं है ?”
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लड़की बोली ,”uncle हम बहुत गरीब है, कभी-कभी हमारे पास खाने के पैसे भी नहीं होते और भूखे ही सो जाते है। “
गोपाल ने फिर से उससे पुछा ,”क्या हुआ, क्या तुम्हारे पापा कोई काम वगैरह नहीं करते ,सिर्फ मांगकर ही खाते हो क्या ?”
लड़की बोली ,”हमारा काम………है ,मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचते है ,कभी-कभी ही बिकते है ,इसलिए हम अधिक नहीं कमा पाते।” बोलते-बोलते लड़की रोये जा रही थी।
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इससे पहले की आगे वह बच्ची कुछ बोलती गोपाल ने उसे गले लगा लिया और चुप होने के लिए कहा। गोपाल ने डॉक्टर को उसके भाई के इलाज के लिए पैसे दे दिए और लड़की को भी कुछ पैसे दिए ,लेकिन लड़की ने लेने से मना कर दिए और कहा ,sorry uncle ,आपने मेरे भाई के इलाज के लिए पैसे दे दिए सिर्फ इसीलिए मैं मांग रही थी ,अब और पैसे नहीं चाहिए।”
लेकिन गोपाल ने लड़की को फिर भी जबरदस्ती पैसे दे दिए और अपना एक card देते हुए बोला ,”अगर कोई और भी help चाहिए हो तो इस number पर phone करना। ” इसके बाद गोपाल उसके भाई से फिरसे मिलकर चला गया।
दोस्तों ,कहानी तो आपने पढ़ ली ,अब कहानी पर ध्यान देते है-
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इस कहानी में 2 दोस्त है ,हर्ष और गोपाल। दोनों ही अमीर।लेकिन दोनों की सोच में बहुत अंतर है। जैसा की आपने कहानी में पढ़ा हर्ष अभिमानी किस्म का है और उसे छोटी लड़की की भावनाओ की कोई कद्र नही क्योंकि उसने फटे-पुराने कपड़े पहने थे।
लेकिन गोपाल के लिए वह बच्ची ,अन्य बच्चो की ही तरह है। उसे उस पर दया आ गयी और उसकी सारी बात भी ध्यान से सुनी और उसकी मदद भी की। गोपाल को उसके कपड़ो वगैरह से कोई फर्क नहीं , यानी कि गोपाल में अपनी अमीरी को लेकर कोई अहंकार नहीं।और वह down to earth है।
दोस्तों असल कामयाबी का राज सिर्फ इतनी-सी ही कहानी में है।अगर हम इस कहानी को समझ जाए तो अपनी ज़िन्दगी में सफलता को हमेशा के लिए बनाये रख सकते है।
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जो भी हर्ष जैसे लोग होते है ,करोड़ो रूपये कमाकर भी कंजूसों की ही तरह रहते है या फिर किसी जरूरतमंद की कभी मदद नहीं करते ,ऐसे लोग ही जल्दी ही असफल हो जाते है ,अगर असफल न भी हो तो भी लोग इनका दिल से आदर-सम्मान नहीं करते ,ऐसे ही लोगों की दूसरे लोग बुराई करते है क्योंकि यह इसी लायक है।
लेकिन जो गोपाल जैसे लोग होते है ,करोड़ो ,अरबों रूपये कमाकर भी जिनके मन में अभिमान पैदा नहीं होता और दुसरो की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहते है ,ऐसे ही लोगों को सच्ची कामयाबी और सच्ची ख़ुशी मिलती है। सभी लोग भी इनका दिल से आदर-सत्कार करते है।
तो दोस्तों अगर आप भी असल कामयाबी पाना चाहते है और लोगो से मान-सत्कार प्राप्त कर हमेशा के लिए उनके दिलो में बसना चाहते है तो एक प्रण ले लीजिये कि चाहे कितनी भी कामयाबी क्यों न मिल जाए लेकिन अहंकार कभी भी नहीं करेंगे। बल्कि ऐसा कहना ज्यादा सही रहेगा कि “जैसे-जैसे आपकी कामयाबी बढ़ती जाए ,वैसे-वैसे अपने अहंकार को भी कम करते रहे। क्योंकि कामयाबी तभी रूकती है ,अगर अहंकार न हो। वैसे भी कहा गया है कि
इसलिए दोस्तों ,हमेशा अच्छे बने रहिये और जितना भी बन सके दूसरों की मदद करते रहिये क्योंकि हम एक दिल लेकर आये थे और कितने लेकर जाते है यह हम पर निर्भर करता है।
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दिनांक 02/02/2017 को...
आप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद... https://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
आप भी इस प्रस्तुति में....
सादर आमंत्रित हैं...
बहुत सही कहानी। जो समझ पाए उनके लिए बहुत बड़ी बात है।
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बहुत उम्दा लेख । मुश्किल वक्त मे संयम रखना आसान होता है लेकिन अमीर होने पर अहंकार पर संयम रखना कठिन काम होता है और जो हर परिस्थितियाे मे खुद को अहंकार रहित रखता है सही मायने मे वही सफल व्यक्ति होता है ।
Very good.....aasmaan chhoone ka haq sabhi ko hai lekin dhyan yeh rakhna hai ki hamare pair bhi jameen par rahen.......
wakai bahut achhi story aur moral.. aasman me udo par utro jamin par hi.