कैसी यह दुनिया है और
कैसी है इसकी चाल ?
ईश्वर आज तक एक भी
इंसान को न बदल सका,
लेकिन न जाने आज तक इंसान
ने कितने ही ईश्वर बदल लिए?
यानी कि मनुष्य इतना बेईमान हो गया है कि ईश्वर भी उसे नहीं बदल सका।
लेकिन मनुष्य ने अपनी इसी बेईमानी और खुदगर्जी में ना जाने आज तक कितनी ही बार ईश्वर को बदल दिया है मतलब कि कभी वह किस की पूजा करता है ,और कभी किसकी? इंसान भगवान पर भरोसा ही नही रखता, अगर कोई मन्नत न पूरी हो पाए तो अपने भगवान को ही बदल देता है और किसी अन्य में आस्था रखने लग जाता है।
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