महात्मा बुद्ध जी के समय की बात है अजातशत्रु नाम का एक राजा था। उनका राज्य बहुत ही अच्छा चल रहा था। किन्तु कहते है न कि समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता। ऐसा ही राजा के साथ हुआ। राजा कई मुश्किलो से घिर गए और उन मुश्किलो से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। उन्होंने कई युक्तियाँ अपनायी लेकिन वह असफल रहे। एक दिन उनकी मुलाकात एक तांत्रिक से हुयी। राजा ने तांत्रिक को अपनी मुश्किलें बताई।
तांत्रिक ने राजा की बातों को ध्यान से सुना फिर उसने एक उपाए बताया। तांत्रिक ने कहा कि आपको पशु बलि देनी पड़ेगी तभी आपकी मुश्किलों का समाधान होगा। पहले तो राजा काफी सोच विचार में पड़ गया लेकिन उन्हें जब कोई भी रास्ता न दिखा तो उन्होंने तांत्रिक की बात मान ली।
तांत्रिक के कहे एक बड़ा अनुष्ठान किया गया। पशुओं को मैदान में बलि देने के लिए बाँध दिया गया था।
संयोगवश उस समय महात्मा बुद्ध राजा के नगर में पहुंचे। वह उसी स्थान से गुजर रहे थे जहा पर राजा ने अनुष्ठान कराया था।
महात्मा बुद्ध ने जब देखा कि निर्दोष पशुओं कि बलि दी जाने वाली है तो वह राजा के पास गए और राजा से बोले, “राजन आप इन निर्दोष पशुओं को क्यों मारने जा रहे है।
राजा बोले, “महात्मा जी, मैं इन्हे मारने नहीं लगा अपितु हम राज्य के कल्याण के लिए इनकी बलि देने जा रहा हूँ ,जिससे सारे राज्य का कल्याण होगा।
महात्मा बुद्ध बोले, “क्या किसी निर्दोष जीव की बलि देने से किसी का भला भी हो सकता है ?”
थोड़ा सा रूककर महात्मा बुद्ध ने जमीन से एक तिनका उठाया और राजा को देते हुए बोले की इसे तोरकर दिखाए।
राजा ने तिनके के दो टुकड़े करदिये।
बाद में बुद्ध बोले कि इसे अब पुनः जोड़ दें।
राजा बोले, “महात्मा जी यह आप कैसी बातें कर रहे है, इसे तो अब कोई भी नहीं जोड़ सकता।
साथ ही बुद्ध राजा को समझाते हुए बोले, “राजन जिस प्रकार इस तिनके के टूट जाने के बाद आप इसे नहीं जोड़ सकते, ठीक उसी प्रकार जब आप इन पशुओं की बलि देंगे तो यह निर्दोष जीव आपके कारण मृत्यु को प्राप्त होंगे और इन्हे आप दुबारा जिन्दा नहीं कर सकते। बल्कि इनके मरने के बाद आपको जीव हत्या का दोष लगेगा और आपकी मुश्किलें कम होने के बजाय और भी कही अधिक बढ़ जाएंगी क्यूंकि किसी भी निर्दोष जीव को मारकर कोई भी व्यक्ति ख़ुशी नहीं प्राप्त कर सकता। आपकी समस्या का हल निर्दोष जीवों को मारने से कैसे हो सकता है ? आप राजा है आपको सोच विचारकर निर्णय लेना चाहिए। अगर आप सच में अपनी मुश्किलों का हल चाहते ही है तो दिमाग से काम लीजिये, मुश्किलें तो आती-जाती रहती है यह ही जिंदगी का सच है। किसी निर्दोष जीव को मारने से समस्यायेँ नहीं समाप्त होंगी बल्कि उसका हल आपको बुद्धि से ही निकालना होगा।
महात्मा बुद्ध की बातें सुनकर राजा बुद्ध के चरणों में गिर पड़े और उनसे अपनी भूल की क्षमा मांगने लगे। साथ ही राजा ने यह एलान कर दिया की अब से कभी भी किसी निर्दोष जीव की हत्या नहीं की जाएगी।