भगवान महावीर स्वामी जी अहिंसा के पथ पर चले और सभी को अहिंसा पालन का ही उपदेश दिया। अहिंसा से ऊपर कोई धर्म नही और अहिंसा से ऊपर कोई पुण्य नही। किसी को मारना या यहां तक कि किसी का दिल दुखाना भी बुरी बात है।
आज उनके जन्म-कल्याणक दिवस पर हम आपके साथ उनके कुछ विचार सांझा करने का प्रयत्न करेंगे। उनके विचारों को यहां हम अपने शब्दों में लिख रहे है, अगर पसन्द आये तो शेयर जरूर करें-
अहिंसा ही सबसे परम धर्म है
अहिंसा से ऊपर धर्म नही कोई।
जिस प्रकार हम इंसानों को दुख-दर्द होता है
ठीक वैसे ही दुनिया के प्रत्येक जीव को दुख-दर्द होता है,
अगर हमे चोट लगे तो हम दर्द से कराह उठते है
इसलिए हमें कोई हक नही कि हम किसी अन्य जीव की जान लें
उन्हें भी दर्द होता है और उनमें भी जान है।
प्रत्येक आत्मा में असीम शक्ति है और वह अपने आप मे सर्वज्ञ है,
बस हमे सिर्फ उसकी शक्ति को पहचानना है।
दुनिया का प्रत्येक जीव अपने कर्मों को स्वयं ही भोगता है
दूसरा कोई न पूण्य अधिक दिलवा सकता है और न ही पाप कम।
स्वर्ग, नर्क और मोक्ष यह सब जीव के कर्मों पर ही निर्भर करते है
जो जैसे कर्म करेगा, वह वैसे ही उनको भोगेगा।
आत्मा अनंत शक्तिशाली और अनंत ज्ञान से सम्पन्न है
जरूरत है तो सिर्फ इसे जागृत करने की
जो सिर्फ अहिंसा और साधना के द्वारा ही सम्भव है।
मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन कोई बाहरी नही
बल्कि भीतरी है,
काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार से बड़ा
मनुष्य का कोई दुश्मन नही
जिन्होंने इसे जीत लिया
उससे बड़ा कोई वीर नही।
चाहे चींटी हो या हाथी
सभी में है समान आत्मा की शक्ति
Bahut shandaar aaj ke samay me lupt hote mahapurusho ke vicharo se avgat karwane ka jo pryas aapne kiya hai wo sarahniya hai…..
mein aapko sadhuwaad deta hu.
Thank you sir