घने जंगल में कही नीम और आम के पेड़ थे। दोनो एक दूसरे के एकदम करीब थे। नीम का पेड़ आम के पेड़ से बड़ा था इसलिए उसे अपने बड़े होने का अहंकार (ego) था।
एक दिन मधुमक्खियों की रानी नीम के पेड़ के पास गयी और बोली कि क्या हम यहां अपना छत्ता बना सकते है?
नीम के पेड़ को तो अपने बड़े होने का अभिमान था और उसने सीधा मधुमक्खी रानी को मना कर दिया ।
पास ही वाला आम का पेड़ बोला कि बना लेने दो न इन मधुमक्खियों को छत्ता, यह तुम्हारी डाल पर छत्ता बनाकर एकदम सुरक्षित रहेंगी।
रानी मधुमक्खी एक बार फिर से नीम के पेड़ से रिक्वेस्ट करने लगी कि बना लेने दीजिये मुझे यहां छत्ता। लेकिन नीम के पेड़ ने फिर से मना कर दिया और एकदम गुस्से से मधुमक्खी रानी को बोला, “सुनाई नही देता तुम्हे, एक बार मना करदिया तो करदिया। और मुझे किसी की मदद की कभी कोई आवश्यकता नही है।”
यह सुनकर रानी मधुमक्खी बहुत निराश हुई। फिर उसने आम के पेड़ से प्राथना की और आम के पेड़ से तुरंत रानी मधुमक्खी को छत्ता बनाने के लिए हां करदी।
कुछ दिन बाद वहां कुछ लकड़हारे पेड़ काटने के लिए आये। उन्होंने देखा कि आम के पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता भी है, जिससे वह उन्हें हानि पहुंचा सकती है और वह पेड़ है भी छोटा, इसलिए उन्होंने नीम के पेड़ को काटने का सोचा।
लकड़हारे जैसे ही नीम के पेड़ को काटने के लिए आये और उसे काटने की लगे कि मधुमक्खियों ने उनपर हमला करदिया। लकड़हारे मुश्किल से अपनी जान बचाकर भागे जिससे नीम का पेड़ भी बच गया।
बाद में नीम का पेड़ बहुत शर्मिंदा हुआ और उसने रानी मधुमक्खी तथा उसके साथियों को धन्यवाद दिया और अपने बुरे व्यवहार के लिए क्षमा भी मांगी।
तब रानी मधुमक्खी ने कहा कि शुक्रिया हमारा नही, आम के पेड़ का करो, जिसने हमे तुमहारी सहायता करने के लिए कहा। अगर वह न कहता तो हम तुम्हारी मदद न करती।
दोस्तों हमेशा याद रखे, भले ही आप कितने भी बड़े क्यों न हो? भले ही आपके पास सब कुछ क्यों न हो? लेकिन उसके अभिमान में कभी मत आना और छोटो तथा अपने साथियों का तिरस्कार मत करना। क्योंकि हर एक की अपनी खूबी होती है और हर एक की कोई न कोई कमजोरी होती ही है। इसलिए हमेशा साथ मिलकर रहे, मिल-जुलकर रहे, कभी किसी को छोटा न आंके और अभिमान न करे। (Abhimaan nahi Karna Chahiye)
दोस्तों आपको यह कहानी नीम का अभिमान (Neem ka Abhimaan) कैसी लगी हमे कमेंट करके जरूर बताएं। आगे भी ऐसी ही कहानियां पढ़ते रहने के लिए GyanPunji हमेशा याद रखे।
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Nice article aage bhi aise accha article likhte rho
Its true story very nice
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