पर्वराज पर्युषण आज से शुरू हो गया है और आठ दिन तक चलेगा।
आप में से अधिकतर पर्युषण के बारे में शायद नही जानते होंगे, लेकिन इन 8 दिनों में आप बहुत कुछ जानेंगे और सीखेंगे और महसूस करेंगे यह कोशिश रहेगी।
इसे पर्वराज क्यों कहा जाता है क्योंकि सब कहेंगे यह त्योहार सबसे बेहतर है, वो है। यहां हम किसी धर्म विशेष की चर्चा नही करेंगे। भले ही जैन पर्युषण पर्व जैन धर्म मानने वाले मनाते है, लेकिन यह सिर्फ किसी एक धर्म का न होकर, समस्त मनुष्यता, समस्त जीवों और समस्त ब्रह्मांड के हिट के लिए है।
दोस्तो मैं यहां पर सिर्फ जैन मत को रखकर नही, अपितु सभी को ध्यान में रखकर बेहतर तरीके से इस पर्व को कैसे मनाए, यह बताने का प्रयास करूंगा।
दोस्तों अगर आप मांस इत्यादि या मंदिर वगैरह का सेवन करते है तो इसका पूर्ण रूप से त्याग कीजिए। क्योंकि पर्वराज पर्युषण किसी बाहरी खुशी को मनाने के लिए नही, बल्कि खुशी को अंदर ही खोजने के लिए है। और जबतक किसी की हिंसा सीधे रूप से होगी, तबतक इस सृष्टि का कोई भी मनुष्य अपने आध्यत्मिकता में मन की गहराई तक नही जा सकता। यही कारण है कि सर्वश्रेष्ठ उपासक पूरे विश्व में केवल भारत मे ही होते है और यही कारण है यहां सब जीवों में भगवान का रूप देखा गया है।
बातें बहुत लंबी है, लेकिन मैं संक्षेप में बताने का प्रयास कर रहा हूँ। इसलिए कृपा इन दिनों मांस इत्यादि का पूर्ण बहिष्कार करें, सिर्फ इन दिनों ही नही हो सके तो पूरी ज़िंदगी के लिए क्योंकि किसी को मारकर कभी भी खुशी की चाहत मत रखना।
अगर आप पहले से ही शाकाहारी है, इसका मतलब level-1 तो आप पार कर चुके हुए है, अब है Level-2 की बारी। अगर आप प्याज-लहसुन खाते है तो इसका 8 दिनों के लिए त्याग करें। क्योंकि यह तामसिक/उत्तेजक भोजन है। इसका आठ दिन त्याग करके देखिए अगर मन को शांति न मिले तो कहिएगा।
दोस्तों अगर आप प्याज-लहसुन पहले से ही नही खाते तो आप यानी कि Level-2 पर करके, मन को जगाने की स्थिति में Level-3 पर आ चुके है। ऐसे में आपको जिमीकंद यानी जमीन की किसी भी पैदावार का इन आठ दिनों के लिए त्याग करना चाहिए। जिमीकंद में प्रत्येक सब्जी आती है, इसलिए कुछ दिन डाल इत्यादि पर निर्भर रहे। और जिन्हें लगता है, ऐसे त्याग से क्या होगा, तो दोस्तों अब पूर्ण विश्वास से कहता हूँ, आठवें दिन तक आप स्वयं अपनी सोच का अवलोकन करने ,आपमें आपको एक तेज विद्यमान मिलेगा और सोच पूर्ण रूप से सात्विक हो जाएगी।
दोस्तों जो इससे भी आगे का त्याग करना चाहते है, तो अब यह बात जैन मत को मानने वालों के लिए आ गयी, क्योंकि ऐसा त्याग शायद ही कोई कर सके। इसमे आप आयम्बिल, एकाशना, व्रत, पोसो रखकर त्याग कर सकते है। और यह धर्म की उत्कृष्ट स्थिति है ,यह मानव संयम की उत्कृष्ट साधना है। ऐसा करना कठिन से भी कठिनतम है। और सच कहूँ तो यह मेरे लिए भी बहुत कठिन है। यह एक तरह से पूर्ण सच्चे साधु की स्थिति है।
तो दोस्तों कुछ इन नियम के पालनों से आप अपनी आत्मा को उच्च बनकर, अपने मन की गहराईयों तक जा सकते है।
आगे और भी बहुत जानकारी देने का प्रयास रहेगा। कोई भी सवाल हो तो आप कमेंट करके जरूर पूछे।
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