आत्मकल्याण का पर्व: पर्वराज पर्युषण

दोस्तों, यूं तो सभी पर्व/त्योहार हमारे तथा हमारे समाज के लिए अति-महत्वपूर्ण है और आपस में भाईचारा भी बढ़ाते है।

यह त्योहारों की ही खासियत है कि हम सब लोग आपस में मिल-जुलकर रहते है। आज के वक्त मे किसी के पास समय नही है, लेकिन यह त्योहार ही है, जो हमे एक कर देते है और हम सब आपस में मिल-जुलकर आनंद मनाते है।

लेकिन इन्ही त्योहारों में एक अन्य त्योहार भी है, जिसे “पर्युषण पर्व” या “पर्वराज पर्युषण” भी कहा जाता है। यूं तो सभी त्योहार खास है, लेकिन इसे “पर्वराज” कहने के पीछे भी बहुत बड़ी बात है, यूं ही पर्युषण पर्व को पर्वराज से नही नवाजा गया।

हम अधिकतर त्योहार किस प्रकार मनाते है?

दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं कि अन्य सभी त्योहारों में हम सब मिलजुल कर उन त्योहारों का आनंद मनाते है। भले ही त्योहार धार्मिक ही क्यों न हो, लेकिन उनमें भी हम भौतिक आनन्द मना ही लेते है। ऐसे कई त्यौहार है जिसमें धर्म भी किया जाता है और भौतिक आनन्द भी मनाया जाता। अधिकतर हमारे त्योहार हमारे इतिहास और हमारे धर्म के साथ जुड़े हुए है और हम इन्हें त्योहारों में खुशी जाहिर करने के लिए भौतिक चीजों का इस्तेमाल करते ही है।

आत्म-कल्याण का त्योहार पर्वराज पर्युषण

दोस्तों ऊपर तो आपने जाना कि अधिकतर त्योहार कैसे मनाये जाते है, अब बात करते है पर्वराज पर्युषण की। पर्युषण अथवा पञ्जुषण पर्व कैसे मनाते है। दोस्तों पर्युषण पर्व भौतिक खुशी को मनाने के लिए नही है। इसमें भोक्तिकता का नामोनिशान तक नही है। पर्वराज पर्युषण भले ही जैन धर्म के लोग मनाते है, लेकिन यह किसी धर्म विशेष का न होकर सम्पूर्ण मानव जाति ही नही अपितु सम्पूर्ण ब्रह्मांड के जीवों के लिए भी है। इसमें कोई बाहरी साज-सजावट नही होती, बल्कि इसमें आत्मा की सजावट होती है। यह त्योहार चंचल मन के कल्याण का न होकर, आत्म कल्याण का है।

दोस्तों पर्युषण पर्व आठ दिन तक मनाया जाता है। अगर अभी तक आपने पिछली पोस्ट नही पढ़ी, तो पहले वह भी जरूर पढ़ लें, सिर्फ समझने में सरलता होगी : “पर्वराज पर्युषण को कैसे मनाये, कैसे आत्मकल्याण की ओर अग्रसर हो।”

तो दोस्तों अगर आपने यह पोस्ट पढ़ ली तो अब समझ गए होंगे कि यह आत्म-कल्याण का त्योहार किस प्रकार है। इसी पर थोड़ा और प्रकाश डालते हुए बता दूं कि इन दिनों सिर्फ और सिर्फ आत्मा के कल्याण के लिए ही साधना को महत्व दिया जाता है, न कि किसी भौतिक कल्याण की तरफ।

आत्मकल्याण क्यों जरूरी है: दोस्तों इसके लिए अगला एक और आर्टिकल लिखूंगा।

आखिर पर्युषण पर्व को पर्वराज क्यों कहते है?

अब बात करते है कि पर्युषण पर्व को पर्वराज की संज्ञा क्यों दी गयी? दोस्तों जैसा कि आपको बताया ही, अधिकतर त्योहर किसी न किसी रूप में भौतिक खुशी के लिए है, लेकिन पर्युषण पर्व ही है, जिसमें प्रत्येक जीव मात्र के भले क् सोचा गया है। जिस त्योहार को मनाने से लाखों/ करोड़ों/ अरबों/ खरबों/ अनंतानंत जीवों का कल्याण हो, तो वह त्योहार को क्या कहा जाएगा? इसलिए अब आप सब समझ गए होंगे कि क्यों पर्युषण पर्व को “पर्वराज” कहा गया है।

दोस्तों आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं कोई सवाल हो तो आप पूछ भी सकते है।

Nikhil Jain

Recent Posts

आत्म अनुशासन से बदलिए अपनी ज़िन्दगी

आत्म-अनुशासन का महत्व हमारे जीवन में बहुत बड़ा है। चाहे आप अपने व्यक्तिगत जीवन में…

1 day ago

2024 में भारतीय शेयर बाजार के लिए सर्वश्रेष्ठ ट्रेडिंग प्लेटफार्म

भारतीय शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों (Retail Investors) की भागीदारी में जबरदस्त वृद्धि हुई है,…

1 month ago

चंद्रशेखर वेंकट रमण: भारतीय भौतिक विज्ञान के महान वैज्ञानिक

विज्ञान एक ऐसा विषय है जो प्रकृति में उपस्थित प्रत्येक वस्तु की क्रमबद्ध जानकारी प्रदान…

2 months ago

सोचने से कुछ न होगा… करने से होगा Daily Motivation in Hindi

सोचने से कुछ न होगा… करने से होगा Daily Motivation in Hindi   दोस्तों, जब…

6 months ago

कल कर लूँगा – Daily Motivation in Hindi

Article on Procrastination in Hindi   दोस्तों आज मैं इस साइट पर एक Daily Motivational…

6 months ago

Money Management in Hindi – पैसों की समझ को बढ़ाती हिंदी लेख

Money Management Series #1 – in Hindi Time Management के बारे में आपने बहुत सुना,…

9 months ago