राखी के शुभ अवसर पर बहन ने भाई को राखी बांधी।
भाई ने पूछा,” उपहार में तुम्हे क्या चाहिए मेरी बहना?”
बहन बोली,” दे सकते हो तो मुझे एक वचन दो ऐसा, जो कभी न तोड़ो तुम, बोलो …. दे सकते हो क्या तुम वचन मुझको।”
भाई ने कहा, “तेरी खुशी के लिए कुछ भी करू मेरी प्यारी बहना, तू बस एक बार कह मुझको। पूरा हर वचन करूँगा, जो दूंगा तुम्हे।”
बहन बोली,” मुझको यह वचन दो कि जब तुम्हारा ब्याह हो जाएगा, तब भी तुम माता-पिता का स्वयं ही ख्याल रखोगे,इनको न भेजोगे कभी भी वृद्ध आश्रम?”
इसके आगे भाई ने कहा,”यह वादा रहा बहना मेरा तुमसे कि रखूंगा हमेशा माता-पिता का ख्याल मैं खुद ही। पर एक वादा करो तुम भी मुझसे कि जब हो जाएगा ब्याह तुम्हारा भी, तो कभी न कहोगी अपने पति को कि माता-पिता का करो त्याग और रहो अलग-थलग। होगा तुम्हारा पति भी अपने माता-पिता का बेटा वैसा ही, जैसे हूँ मै, वैसे ही होगा वो भी। कभी मत वजह बनना बाप और बेटे की दूरी में, कभी मत वैर डलवाना मां और बेटे में।”
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So nice
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बहुत अच्छा gyanpunji जी!! उम्मीद है कि आप आगे भी ऐसी अच्छे और प्रेरक प्रसंग लेकर आते रहेंगे।
ThankyouGyanpunjijiIalsowantyourstoryeverytime
ICE BLOG
GREAT BLOG. KEEP WRITING