सच्चा मित्र वही है,
जिसके शत्रु वही है,
जो आपके शत्रु है।
दोस्तों , वैसे तो किसी से भी शत्रुता नही रखनी चाहिए ,लेकिन जिंदगी में अगर अच्छे काम भी करने लग जाओ तो भी शत्रु बन ही जाते है। और कुछ हमारे मित्र ही ऐसे होते है कि वो आपके शत्रु के भी मित्र होते है।
भला यह क्या बात बनी? आपका मित्र, आपके शत्रु का भी मित्र? ऐसे व्यक्ति को आप मित्र मानते है तो ठीक है, लेकिन अपना भरोसेमंद कभी मत माने क्योंकि एक सच्चा मित्र वही होता, जो उन्हें भी अपना शत्रु ही माने ,जो आपके शत्रु है।
क्योंकि अगर वो आपके शत्रु को मित्र मानता है तो वो आपको कभी भी धोखा दे सकता है, आपकी बातें/आपके राज उसे बतला सकता है, इसलिए ऐसे दोगले लोगों से बचकर रहिये और अपने मित्र के बारे में अच्छे से परख रखे।
आपका सच्चा मित्र वही है, जो आपके दुश्मनों से भी दूरी बनाकर रखे, जो आपके दुश्मनों का करीबी, वह सच्चा मित्र कभी हो ही नही सकता।
इसीलिए आचार्य चाणक्य ने भी कहा है –
सच्चा मित्र वही है,
जिसके शत्रु वही है,
जो आपके शत्रु है।
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हा, मित्र वही जो शत्रु का शत्रु हो
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