जानकारीयाँ

क्षमा पर्व क्यों और किसलिए मनाया जाता है, अन्य धर्म के लोगो के लिए भी इसका महत्त्व

क्षमा पर्व की सभी को हार्दिक बधाई

यह पर्व कोई बाहरी हर्षोल्लास का पर्व न होकर, अपने स्वयं अंदर झांकने का पर्व है।

जीव अनंतानंत समय से इस भव सागर में चक्कर खा रहा है उसका सिर्फ यही कारण है कि हमारी आत्मा द्वारा किये पाप/पुण्य कर्मों को अभी तक हम समाप्त न कर सके।

जाने-अनजाने में हमसे अनेको गलतियां होती है और अनेकों की हिंसा कर देते है, जैसे कि किसी जीव की हिंसा कर दी, पैर के नीचे आकर चींटी की हिंसा हो गयी इत्यादि।

यह पर्व अन्य पर्वों की तरह बाहरी रोशनी को नही जगाता बल्कि हमारी अंदरूनी आत्मा की रोशनी को जगाने का पर्व है।

अगर आप धर्म का ज्ञान रखते है तो, पौराणिक कथायों में, भले ही किसी भी धर्म की हो, आपने सुना ही होगा कि पिछले जन्मों के कारण उन्हें बाद में भी दुख भोगने पड़े।

भीष्मपितामह जी का एक प्रसंग

महाभारत के युद्ध में भीष्मपितामह तीरों की शय्या पर पड़े रहे और अत्यधिक दर्द हुआ उन्हें। और वह श्रीकृष्ण जी से पूछते है कि प्रभु मुझे मेरे पिछले 1000 जन्मों का याद है, लेकिन मैंने उन जन्मों में कोई भी ऐसा पाप नही किया, जिससे मुझे इतनी भयंकर यत्न झेलनी पड़े।

तब श्री कृष्ण कहते है कि आपने 1000 जन्मो में तो कोई ऐसा पाप न किया लेकिन 1001 वें जन्म की बात है जब आप एक राजकुमार थे और विचरण कर रहे थे तब एक करकैंटा आपके द्वारा फेंका गया जोकि बेरिया के पेड़ पर जाकर गिरा। उसके कांटे उसपर चुभते रहे वह भी कई दिनों बाद बहुत भयंकर मृत्यु को प्राप्त हुआ।

तब उस करकैंटे ने मन ही मन आपको श्राप दिया कि जैसी मेरी दुर्गति हुई वैसी ही इसे भी भोगनी पड़े।

आपके अभी तक के पिछले 1000 जन्मों में पुण्य अत्यधिक था जिस कारण आपको उस पाप का फल न भोगना पड़ा। लेकिन इस जन्म में आपके पाप बढ़ जाने के कारन आपको उस पाप का bhi फल भोगना पड़ा।

तो दोस्तों, कारण गति इस प्रकार ही चलती जाती है, इसीलिए जैन धर्म में क्षमा पर्व मनाया जाता है क्यूंकि कर्म गति अटल है और हमारे द्वारा जाने-अनजाने में जो पाप हो जाते है उन पापो के कारण किसी को जो दुःख हुआ हो उसकी हम दुनिया के सभी जीवों से क्षमा मांगते है.

इसलिए यह पर्व अति महतवपूर्ण पर्व है जोकि बाहरी हर्सोल्लास के कारण नहीं अपितु अंदरूनी सुख के लिए मनाया जाता है ताकि हम कर्म बंधन काटकर जल्द-से-जल्द मुक्त हो सके.

क्या सिर्फ जैन ही इस पर्व को मनाते है

ऐसा कुछ नहीं कि अगर आप जैन नहीं तो आप इस पर्व को नहीं मना सकते क्यूंकि यह पर्व कोई बाहरी दिखावे का पर्व नहीं अपितु हमारे अंदर की आत्मा की ज्योति को जगाने का पर्व है, जिसे कोई भी बिना किसी धर्म के बारे में सोचकर अपने मन के भावो से मन ही मन इसे मना सकते है।

क्षमा याचना

दोस्तों आप जो-जो भी ज्ञानपूंजी के साथ किसी भी रूप में जुड़े हुए है, आप सभी का अगर मैंने कभी भी जाने-अनजाने में दिल दुखाया हो या कोई अन्य हानि हुयी हो तो मैं मन-वचन और काया द्वारा आप सभी से माफ़ी मांगता हूँ. वैसे तो आप सभी के लिए अच्छा लिखने का ही प्रयास रहता है लेकिन फिर भी भला सोचने में भी कड़वे शब्दों का उपयोग हो जाता है, इसलिए सभी से क्षमा मांगता हूँ.

ज्ञानपुंजी की तरफ से अपने व्हाट्सएप्प पर रोजाना प्रेरणादायक विचार प्राप्त करने के लिए 9803282900 पर अपना नाम और शहर लिखकर व्हाट्सएप्प मैसेज करे।

Nikhil Jain

View Comments

Recent Posts

आत्म अनुशासन से बदलिए अपनी ज़िन्दगी

आत्म-अनुशासन का महत्व हमारे जीवन में बहुत बड़ा है। चाहे आप अपने व्यक्तिगत जीवन में…

11 months ago

2024 में भारतीय शेयर बाजार के लिए सर्वश्रेष्ठ ट्रेडिंग प्लेटफार्म

भारतीय शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों (Retail Investors) की भागीदारी में जबरदस्त वृद्धि हुई है,…

1 year ago

चंद्रशेखर वेंकट रमण: भारतीय भौतिक विज्ञान के महान वैज्ञानिक

विज्ञान एक ऐसा विषय है जो प्रकृति में उपस्थित प्रत्येक वस्तु की क्रमबद्ध जानकारी प्रदान…

1 year ago

सोचने से कुछ न होगा… करने से होगा Daily Motivation in Hindi

सोचने से कुछ न होगा… करने से होगा Daily Motivation in Hindi   दोस्तों, जब…

1 year ago

कल कर लूँगा – Daily Motivation in Hindi

Article on Procrastination in Hindi   दोस्तों आज मैं इस साइट पर एक Daily Motivational…

1 year ago

Money Management in Hindi – पैसों की समझ को बढ़ाती हिंदी लेख

Money Management Series #1 – in Hindi Time Management के बारे में आपने बहुत सुना,…

2 years ago