हम में से सभी लोग बुद्धिमान होना चाहते है ,हर कोई किसे विशेष subject का ज्ञान चाहता है जैसे कोई electrical के बारे में सारी knowledge रखना चाहता है तो कोई technology की , कोई history का ज्ञान चाहता है तो कोई Economics का। और कुछ कुछ तो ऐसे भी होते है जो दुनिया में मौजूद सारा-का-सारा ज्ञान अर्जित कर लेना चाहते है।

चलो ज्ञान होना अच्छी बात भी है ,अगर कोई सारा ज्ञान अर्जित करना चाहता है तो वो कही भी जायेगा उसे किसी के सामने भी मूर्खो को तरह नहीं इधर-उधर देखना पढ़ेगा।

और कुछ ऐसे होते है कि खुद तो ज्यादा knowledge है नहीं पर अगर कोई knowledge लेना भी चाहता है तो उसे भी demotivate करेंगे और कहेंगे सभी रास्तों पर भटककर किसी भी रास्ते पर नहीं चल पाएगा।



चलो अब इनकी भी बात सही है कि सभी रास्तों पर अगर कोई चलेगा तो आखिर चलेगा किस रास्ते पर ? ऐसा व्यक्ति तो किसी भी रास्ते पर नहीं चल सकेगा और बाद में पछतायेगा।

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अब क्या ? मैंने तो ऊपर पहले एक की अच्छाई की और दूसरे की बुराई और बाद में इससे उल्टा  ही कर दिया। जिसकी अच्छाई की थी ,उसकी बुराई कर दी और जिसकी बुराई की थी ,उसकी अच्छाई कर दी।

चलो अब आगे पढ़कर आपको पता चल जाएगा की असल में क्या सही है और क्या नहीं ?

ज्ञान की खोज यही तो करते है सभी , अगर कोई किसी एक subject की knowledge चाहता है तो वो सिर्फ उस विशेष subject पर ध्यान केंद्रित करेगा और उस subject पर लिखी ज्यादा-से-ज्यादा books पढ़ेगा।

और जो सारा ज्ञान  अर्जित कर लेना चाहता है तो वो कभी एक subject की किताब पढ़ेगा ,कभी दूसरे की और फिर तीसरे की……….।

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पर दुनिया में तो हज़ारों ,लाखों (thousands of books ) किताबें है ,इतनी तो कोई भी नहीं पढ़ सकता और फिर इसका मतलब कोई भी सारी knowledge रख ही  नहीं सकता।

पर यह बात गलत है कि कोई भी सारी knowledge रख ही नहीं सकता।  हाँ ,पर अगर किताबें पढ़-पढ़कर सारा ज्ञान अर्जित कर लो तो यह impossible (असम्भव) है।

क्यूंकि असल ज्ञान जिसकी सभी को खोज है वो बाहरी किताबों में नहीं बल्कि आपके अपने अंदर है। जिसको आप किताबें पढ़-पढ़ कर नहीं जगा सकते ,उसको जगाने के लिए आपको ध्यान और संयम की आवश्यकता है। लेकिन ज्ञान को जगाने की शुरुआत बाहर से ही होती है जब कोई हमे इस बात का ज्ञान देता है कि ज्ञान की प्राप्ति कैसे की जा सकती है।

अब आप भी जान गए कि ज्ञान तो आपके अपने ही अंदर है।

पर लेकिन फिर भी कुछ लोग कहेंगे कि ज्ञान हमारे अंदर कैसे ? वो तो सीखते रहने से ही बढ़ता है या फिर बढ़ाने से ही बढ़ता है।

सीखते रहने से ज्ञान बढ़ता है इसमें कोई संदेह नहीं। पर असली ज्ञान का भण्डार आपकी अपनी आत्मा है। आत्मा के ज्ञान को जगाने के लिए आपको ध्यान और संयम की आवश्यकता है। Meditation ही इसका उपाए है अगर आप अनन्त ज्ञान को प्राप्त करना चाहते है।

ध्यान भी हर कोई नहीं कर सकता ,ध्यान करने के लिए संयम चाहिए ,संयम मतलब विचारों की शुद्धि और शुद्ध आहार। शाकाहारी आहार ही शुद्ध आहार होता है  क्यूंकि शाकाहारी भोजन से अगर विकार आते भी है तो वो limited होते है। Limit  (सीमा) क्या है यह मैंने पिछली post में बताया ही है क्या आप जागृत है ? (Kya Aap Jag Rahe Hai ?)”

जब आप ध्यान करना शुरू करेंगे, जितना गहराई से ध्यान लगाएंगे उतनी ही आपकी समझ शक्ति बढ़ती रहेगी और आपकी तार्किकता (सोच-समझकर परखने की शक्ति) भी बढ़ेगी। जिस चीज की आपको समझ नहीं होगी उसको भी ध्यान से जब सोचेंगे आपको पता लगने लग जाएगा क्यूंकि “आत्मा अनन्त ज्ञान का भण्डार है।”  यह अब आपके ऊपर है कि आप आत्मिक ज्ञान को जागृत करने में कितने सफल होते है।
 

ध्यान लगाने में शुरू-शुरू में कठिनाई होगी ,इसमें मन नहीं लगेगा ,लेकिन जैसा कि मैंने कहा संयम चाहिए अगर आपमें संयम है और सात्विक आहार लेते है तो आपको कुछ ही दिनों के अंदर-अंदर progress होती लगने लगेगी और आपके ज्ञान का विकास होता ही जायेगा। 

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शायद कई लोगों को लगे कि ध्यान से शान्ति तो प्राप्त की जा सकती है पर ज्ञान नहीं। तो उन लोगों के लिए एक पहले छोटा-सा रास्ता है, जिससे वो अपनी शुरुआत कर सकते है। अगर आपको किसी बात की थोड़ी-बहुत knowledge है पर उसके बारे में confusions बहुत है कि ऐसा-कैसे हो सकता है ,वैसे कैसे …….. ? तो वो लोग एक काम कर सकते है ,आपको ध्यान शुरू में बहुत मुश्किल लगेगा ,पर आपने करना बस इतना है कि एकांत में बैठना है और उस topic के बारे में सोचना है जिसके बारे में आपको confusion है। आप सोचते रहे और बस सोच की गहरायी में जाकर सोचते कि ऐसा क्यों ? हो सकता है आपको पहले दिन में सफलता न भी मिले लेकिन कुछ दिन जब आप सोचते रहेंगे फिर आपको उसका answer/solution अपने आप मिल जाएगा। Time इसलिए लग सकता है क्यूंकि इसका सीधा तालुक आपकी आध्यात्मिकता पर है।

 

आप इसमें जल्द ही सफल हो जायेंगे और अब आप थोड़ा-सा सोचने में सक्षम होंगे कि शायद ध्यान से ज्ञान भी प्राप्त हो सकता है। और जब आप ऐसा करने लगेंगे तो फिर इस बात का जवाब आपके सामने होगा। 

अब आप ध्यान में जब सफल होना शुरू हो जाएंगे तो आपको ज्ञान की खोज हो चुकी। अब ध्यान की जितनी गहराई में जाएंगे उतना ही आपका ज्ञान भी बढ़ता रहेगा। इस लेख से आप Benefits Of Meditation के बारे में भी जान गए। 

ऐसा करने से आपका ज्ञान भी बढ़ेगा ,आपकी इच्छा शक्ति भी दृढ़ होगी और आपके शारीरिक बल में भी वृद्धि होगी ,शारीरिक बल का मतलब यह नहीं कि आप BodyBuilder बन जायेंगे ,इसका मतलब कि आपकी सहनशक्ति और रोगों से लड़ने की शक्ति में इजाफा होगा। 

एक और बात, ध्यान का जो सबसे ज्यादा फायदा है वह यह कि ध्यान भी हमारे लिए एक तरह से Life Insurance का काम करता है ,इसमें पहले हमे Premium के रूप में time देना पढता है लेकिन  बाद में इसका return काफी अच्छा है , इसके कितने सारे benefits तो आप जान ही गए  एक और फायदा इसका जो जिंदगी के साथ भी और ज़िन्दगी के बाद भी का है , वह यह कि इससे कर्मों की निर्झरा भी होती है अर्थात हमारे कर्मबन्धन से छुटकारा भी मिलता जाता है और अंत में मोक्ष प्राप्ति के रास्ता सुलभ होते होते ,मोक्ष की प्राप्ति ही हो जाती है। 

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तो हुआ न यह भी Life Insurance की ही तरह ,time  तो आपको बाद में भी देना पड़ेगा लेकिन जब आदत पड़ जाए तब ध्यान अपने आप ही लगना  शुरू हो जाता है।

अगर आपके मन में अभी भी कोई शंका या सवाल है तो आप comment के माध्यम से पूछ सकते है। अगर आप मुझसे personally पूछना चाहे तो मुझे आप  E-Mail भी कर सकते है। 

आपको यह Post कैसी लगी उसके लिए भी comment करे और अगर किसी का ध्यान से related अपना experience भी है तो हमारे साथ भी share करे ताकि ज्यादा-से-ज्यादा लोग ध्यान के फायदों के बारे में जागरूक हो सके। 

Nikhil Jain

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  • आपने बिल्‍कुल सही कहा। हर व्‍यक्ति बुद्धिमान बनना चाहता है। पर बुद्धिमान बनने की चाहत रखना एक बात है और ज्ञान हासिल कर लेना और बात है। ज्ञान तो कठिन तप करने से ही हासिल होता है।

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