सबसे बड़े दो दुश्मन (Two Biggest Enemies)

 
अगर कोई गुस्सैल और अहंकारी है 
तो उसको दुश्मनो की कोई जरूरत नहीं 
क्योंकि उसको बर्बाद करने के लिए यह दो दुर्गुण ही काफी है। 

 

दोस्तों ,गुस्सा करने से हमारा अपना ही नुक्सान होता है। इससे दूसरे को कोई फर्क पड़े, चाहे न पड़े लेकिन यह हमें  नुक्सान जरूर पहुंचाता है। एक तो हमारा ही पारा चढ़ेगा और दूसरा इससे हमें कई रोग भी लग सकते है । गुस्सा करने से दिमाग की नसों की गति बहुत अधिक तेज हो जाती है ,अगर आपको भी कभी बहुत अधिक गुस्सा आया है तो आपने महसूस किया होगा कि आपका सिर बहुत भारी हो जाता है और आप एकदम से थकान भी महसूस करने लग जाते है । गुस्सा जब आता है तो उसके कुछ क्षणों बाद ही पुरे शरीर में से ऊर्जा समाप्त होने लगती है और शरीर में ऐसा महसूस होता है कि जैसे कोई आपके अंदर से साड़ी शक्ति को खींच रहा हो।

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गुस्से के कारण ही हम कई बार बहुत से सुअवसर (opportunities) गंवा बैठते है ,जिसका हमे बाद में पछतावा होता है और सोचते है कि काश ! अगर हमने उस वक्त गुस्सा न किया होता और जरा सोचा होता तो आज समय ही कुछ और होता।

जैसे कि अभी लिखा ,कि कुछ सोचा होता ,इसका मतलब हमे जब गुस्सा आता है ,चाहे किसी को भी जब गुस्सा आता है तब वह अपने सोचने समझने की शक्ति खो बैठता है और एक असभ्य इंसान से भी बुरा बन जाता है। गुस्सा करने से हम इस कदर तक अपनी सूझ-बूझ गांव देते है कि हम पागलो से भी बदतर बन जाते है। हमारे सोचने समझने की शक्ति खत्म हो जाती है और कुछ भी करने से पहले बिलकुल भी नहीं सोचते।

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इसी प्रकार अहंकार है, इससे हम सिर्फ अपने आप का ही सोचते है और अपने आप को दूसरों से बेहतर समझते है। और इसी सोच के कारण हमारा पतन हो जाता है क्योंकि जिसने अपने को सबसे उच्च समझा ,वह आगे कुछ भी नहीं सीख सकता और हमेशा भूलता ही जाता है।

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दोस्तों मान करना या confidence करना अच्छी बात है ,लेकिन अहंकार यानी कि  overconfidence बहुत ही घातक है। चाहे कोई कितना भी बढ़िया क्यों न हो ,लेकिन उसे कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार से सिर्फ हानि ही होती है ,किसी भी प्रकार का कोई लाभ नहीं हो सकता।

मान लेते है अगर मेरा  blog कभी सबसे बढ़िया blogs की list में आ जाता है और ऐसा सोच-सोचकर मुझे अहंकार हो जाए कि मैं तो सबसे बढ़िया blogger हूँ और अपने दोस्तों में भी बस इसी के बारे में बताता रहूँ और कुछ भी न करूँ ,अहंकार से ही भरा रहूँ, तो आप ही जरा सोचिये क्या फिर मैं अपनी सफलता को बनाये रख पाऊंगा ? हमारे विचार जैसे होते है ,वैसी ही हम दूसरों से बाते कर पाते है ,अगर मुझमे अहंकार आ जाए और मैं लाख कोशिश करूँ अच्छा लिखने की ,लेकिन कभी भी लिख नहीं पाऊंगा क्योंकि मेरे जो विचार है मैं तो वही आपसे share कर ससकता हूँ। जब अहंकार आ जायेगा तब कैसे कुछ भी अच्छा व्यक्त कर पाऊंगा। इसलिए दोस्तों अहंकार कभी भी नहीं करना चाहिए। इससे हमारा ही नाश होता है।

गुस्सा और अहंकार से बचने का सबसे सरल उपाय 

गुस्सा करने से बचने के सरल उपाय

दोस्तों गुस्सा हमे कभी भी नहीं करना चाहिए ,हमें हमेशा 3 तरह की सोच रखनी चाहिए गुस्सा करने से बचने के लिए –
  1. यह तो हमसे बड़े है और बड़ों पर गुस्सा होना अच्छी बात नहीं। 
  2. यह तो मुझसे छोटा है ,गलती छोटों से ही तो होती है ,हम भी तो जब छोटे थे बहुत गलतिया करते थे। इसलिए उन्हें छोटा समझ कर माफ़ कर देना चाहिए। 
  3. अगर कोई हमारी उम्र का ही हो तो यह सोचना चाहिए ,चलो छोड़ो ,लड़ना क्यों ?गुस्सा क्यों करना ? हमारा ही तो दोस्त है ,कभी-कभी गलती हो जाती है। 

ऊपर गलती शब्द इसलिए क्योंकि गुस्सा अधिकतर गलतियों पर ही आता है।

अहंकार करने से बचने के सरल उपाय

अहंकार से बचने के भी कुछ सरल उपाय है। अहंकार करने से बचने के लिए यह सोचिये –

नीचे वालों को देखने के बजाए ,ऊपर वालों को देखो ,जो हमसे भी अधिक कामयाब है ,हमेशा अपना compare उनके साथ करे। ऐसा करने से अपने आप पर कभी भी अहंकार नहीं हो पायेगा।

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अहंकार करने से बचने का सबसे बढ़िया तरीका ,हर एक कामयाबी का श्रय ,भगवान को दीजिये। जितने भी कामयाब हो जाए लेकिन भगवान को ही अपनी सफलता का जिमेदार ठहराये।

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या फिर अपने घर वालों को ,अगर आप married है तो अपनी wife को भी श्रय दे सकते है ,अगर वह भी आपकी मदद करती है।

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लेकिन भगवान को श्रय देने से अहंकार लेश-मात्र भी उत्पन्न नहीं हो पाता। आस्तिक व्यक्ति की सबसे बड़ी खूबी यही है कि वह नकारत्मक परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारता और सफलता प्राप्त होने पर भी अहंकारी नहीं होता क्योंकि वह शाश्वत सत्य जानता होता है और नश्वरता को भी सही मायनो में जानता है। इसलिए जिसका ईश्वर पर भरोसा है ,वह कभी भी कामयाबी पर अहंकार नहीं करता और नाकामयाबी पर होंसला नहीं हारता क्योंकि वह ईश्वर की कृपा को समझता है।

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इसीलिए दोस्तों ,जिसके पास अहंकार और गुस्सा यह तो दुर्गुण है, वह उस व्यक्ति के सबसे बड़े शत्रु है क्योंकि इतना नुकसान शत्रु नहीं पहुंचाता ,जितना यह दो दुर्गुण पहुंचा देते है।
दोस्तों आपको यह Post कैसी लगी,कमेंट करके जरूर बताये।