हम क्या लेकर आये थे और क्या लेकर जाएंगे ? , दोस्तों ऐसा तो आपने बहुत बार सुना ही होगा और सभी कहते है , हम न कुछ लेकर आये थे और न ही कुछ लेकर जाना है।सभी यही सोचेंगे कि जब हम पैदा हुए थे कुछ नहीं लेकर आये थे और जब मरेंगे तब कुछ लेकर भी नहीं जा सकते। क्योंकि अगर किसी ने जन्म लिया है तो उसका मरन भी निश्चित है।
लेकिन अगर हम गहराई से सोचे तो हम कुछ लेकर आये भी थे और बहुत कुछ लेकर जाएंगे भी। जब पैदा हुए थे ,तब हमारे पास एक दिल था, लेकिन जब जाएंगे ,तब कुछ लेकर जाएंगे या नहीं ,यह हमारे ऊपर depend करता है।
अगर हम सच्चे स्वभाव के रहेंगे और दूसरों की मदद करते रहेंगे तो फिर जब जाएंगे तो सैंकड़ो, हज़ारो दिल लेकर भी जा सकते है ,लेकिन अगर दूसरों का हमेशा बुरा चाहते रहेंगे तो फिर कुछ भी नहीं लेकर जा सकते ,बुरे कर्मों के इलावा।
दोस्तों, अक्सर सभी कहते है कि दुनिया मोह/माया है ,यह दुनिया सब झूठ है ,जो भी हम देखते है सिर्फ छलावा है ,हक़ीक़त में यह कुछ भी नहीं ,लेकिन क्या यह सच है ? अगर दुनिया सच में ही मोह/माया है, सब कुछ झूठा है , तो फिर भगवान ने कर्म फल क्यों बनाया? क्योंकि कर्म तो अगले जन्मों में भी हमारे साथ ही रहते है और परलोक में भी हमारे साथ ही रहते है। फिर अगर यह दुनिया झूठ है तो झूठी वस्तु में कुछ सत्य कैसे ? इसका तो यही मतलब हुआ कि दुनिया सच ही है और हमारा मोह भी एक तरह से सच ही है।इसे एक example के द्वारा समझते है –
मुझे एक सपना आया कि मेरी एक करोड़ रुपये की लाटरी (lottery) निकल गयी ,मुझे वह सब पैसे भी मिल गए और मैं बहुत ही अमीर हो गया। लेकिन जब मैं जागा तो ऐसा कुछ भी नहीं था और अगली रात सोते वक्त भी ऐसा कुछ नहीं हुआ। यानी कि सपना वही पर ख़तम और हक़ीक़त में कुछ भी न हुआ।
अब ऐसे ही दुनिया है ,अगर यह झूठ होती तो कर्म अगले जन्मों में फल कैसे देते? अगर यह झूठी है तो कर्मों द्वारा परलोक कैसे अच्छा या बुरा हो सकता है ? यानी कि दुनिया जो भी है ,कुछ न कुछ सच तो है ही। बस अब इसी सच को लेकर चलना है।
अब बात आती है क्या लेकर आये थे और क्या लेकर जाएंगे ? दोस्तों फिर से वही बात एक दिल लेकर आये थे और अनेकों दिल लेकर जा सकते है। सिर्फ हमे कर्म कुछ ऐसे करने है कि दूसरों का भला हो और वह हमे ज़िन्दगी भर याद रखे। अगर किसी का भला नहीं भी कर सकते, तो कम-से-कम हमारे द्वारा किसी को कोई हानि भी न पहुंचे। अगर हमारे जाने के बाद भी दूसरे लोग हमे याद रखेंगे और हमारी अच्छाई के कारण दूसरों के साथ भी अच्छा करेंगे तो हमारे कर्मों का पेड़ ,हमारे जाने के बाद भी बढ़ता-फूलता रहेगा और इसका फल हमें परलोक और अगले जन्मों में भी मिलता रहेगा ।
इसलिए दोस्तों आगे से ऐसा कभी मत कहना कि न कुछ लेकर आये थे और न कुछ लेकर जाना है। हमें अपने कर्म ऐसे करने है कि जो हमें हमेशा के लिए दूसरों के दिलो में जिन्दा रख सके। जैसे शहीद भगत सिंह की ही बात कर लेते है ,छोटी सी उम्र में ही शहीद हो गए ,लेकिन वह कुछ ऐसा करके गए थे कि आज भी लोगों के होंसलो में जूनून भर देते है और सभी को भारतीयता का गर्व कराते है। जरूरी नहीं कि शहीदी से ही लोग हमे याद रख सकते है। महान सूफी संत बुल्लेह शाह जी को ही ले लीजिये ,जीवन उनका साधारण व्यक्ति से भी साधारण था ,लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ लिखा जिससे आज भी लोग उन्हें याद रखते है। उनका अलौकिक प्रेम आज भी हम सभी के लिए मिसाल है और उनकी रचनाये हमे आज भी प्रेम और भक्ति सीखाती है।इन्होंने अपना जीवन तो अपने मुरशद के नाम कर दिया था लेकिन फिर भी इन्होंने जो लिखा हम सभी के लिए अमर साहित्य है।
तो दोस्तों बस ज़िन्दगी में कुछ ऐसा कीजिये कि ईश्वर हमे जब भी अपने पास बुलाये ,दुनिया छोड़ने के बाद भी हम लोगों के दिलो में जिन्दा रह सके क्योंकि मृत्यु तो एक-न-एक दिन सभी को आनी ही है ,यह भी शाश्वत सत्य है।
तो आगे से हमेशा यही सोचना कि हमे अब कितने दिल लेकर जाना है ,इस दुनिया में जब आये थे तब कर्मों के इलावा एक दिल लाये थे और उस दिल को कितने दिलों के साथ जोड़कर कितने दिल लेकर जाएंगे यह हम पर निर्भर करता है।क्योंकि न कुछ लेकर आये थे और न कुछ लेकर जाएंगे ,यह तो भौतिकवादी लोग ही कहते है ,हम पैसा ,जमीन वगैरह कुछ नहीं लेकर आये थे ,सिर्फ कर्मो द्वारा हमे अच्छा दिल प्राप्त हुआ है और अच्छे कर्मो के द्वारा सभी का भला करते हुए दिल जीतते जाने है। जो इस दुनिया से दिल जीतकर जाएंगे ,वह अवश्य सद्गति ही प्राप्त करेंगे।
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